Jalebi History: हरियाणा की राजनीति में जलेबी छाई हुई है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान गोहाना की मशहूर जलेबी खाई और मंच से जलेबी की फैक्ट्रियां लगाने, रोजगार दिलाने और निर्यात बढ़ाने का वादा किया। इस स्वादिष्ट मिठाई का भारत में सभी स्थानों पर एक अलग ही महत्व है, लेकिन आखिरकार जलेबी भारत में कैसे आई? इसका इतिहास बहुत पुराना और दिलचस्प है।
भारत में जलेबी काफी लोकप्रिय मिठाई है। देश में बड़े पैमाने पर लोग इसको चाव के साथ खाते हैं। कई जगहों पर मेहमान नवाजी करने के लिए लोगों को जलेबी खिलाई जाती है। इस मिठाई को बनाने के लिए मैदा, घी, दही और चीनी का इस्तेमाल होता है। स्वाद में लाजवाब होने से जलेबी को भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान आदि कई देशों में खाया जाता है। हालांकि, विभिन्न जगहों पर इसको बनाने की विधि भी अलग-अलग है।
इसकी मिठास और थोड़े से खट्टेपन का मेल ही इसको स्वाद में अनोखा बनाता है। भारत में लोकप्रिय होने की वजह से कई लोगों को लगता है कि जलेबी सबसे पहले भारत में ही बनाई गई होगी। लेकिन आप भी यही सोचते हैं, तो आप गलत हैं। जलेबी भारत की मिठाई नहीं है। जलेबी का इतिहास भी इसकी तरह ही घुमावदार है।
कहां से भारत पहुंची जलेबी?
जलेबी की उत्पत्ति फारस (अब ईरान) से हुई है। इसे फारसी भाषा में जलिबिया कहा जाता है। मध्य पूर्व के दूसरे देशों में इस मिठाई को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इतिहासकार मानते हैं कि फारसी व्यापारियों, कारीगरों और मध्य पूर्वी आक्रमणकारियों के माध्यम से जलेबी भारत पहुंची। यीस्ट से बनने वाली चीजों का अरब देशों से संबंध है और वहां से यह स्वादिष्ट मिठाई यूरोप, जर्मनी और उत्तरी अमेरिका तक फैल गई। भारत में मध्यकाल में जलेबी पहुंची।
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कैसे भारत पहुंची जलेबी?
बताया जाता है कि 500 साल पहले तुर्की आक्रमणकारियों के साथ जलेबी भारत पहुंची। भारत में इस मिठाई को खूब पसंद किया गया। आज के समय देशभर में लोग बड़े पैमाने पर जलेबी खाते हैं। यही नहीं भारत में कई जगहों पर जलेबी को दही, रबड़ी और दूध के साथ खाया जाता है। इसके अलावा जलेबी से मिलती जुलती एक मिठाई और भी काफी लोकप्रिय है। इस मिठाई को इमरती के नाम से जाना जाता है।