आईआईटी के हाॅस्टल में पीएचडी (भू-गर्भ विज्ञान) अंतिम वर्ष की छात्रा ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस व फोरेंसिक ने पूरे कमरे की जांच की। इस दौरान पुलिस को मौके से सुसाइड नोट भी मिला है। एक पुलिस अफसर के मुताबिक, पांच पेज के सुसाइड नोट में दो पेज खाली है। एक पेज में केवल इतना लिखा है कि मेरी मौत के लिए किसी को दोष न दिया जाए। एक पेज में केवल लाइन खिंची हुई है। दूसरे पेज में परिवार वालों के नाम का जिक्र करते हैं लिखा है कि ऐसा नहीं है कि मैं कुछ कर नहीं सकती। पीएचडी पूरी करके आगे और पढ़ाई के साथ काम भी कर सकती हूं। हां, एक्सट्रा कुछ नहीं कर सकी।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक सुसाइड नोट से लग रहा है कि प्रगति अकेलापन महसूस कर रही थी, लेकिन वजह क्या हो सकती है यह तो उसके परिवार के लोग ही जान सकते हैं। बताया जा रहा है कि सुसाइड नोट में किसी लड़के का नाम और मोबाइल नंबर भी लिखा है। इस बारे में पुलिस जांच कर रही है। वहीं, प्रगति ने अपने दोस्तों के लिए लिखा है कि आप लोगों ने मुझे बहुत कोऑपरेट किया, इसके लिए थैक्स…। पुलिस का कहना है कि नोट में किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। आवश्यकता पड़ने पर सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच भी कराई जाएगी।
परिवार को जोड़कर रखने वाली प्रगति खुद कैसे इतना टूट गई
पीएचडी करने के साथ-साथ प्रगति अपने परिवार की भी जिम्मेदारी निभा रही थी। परिवार के जिस किसी भी सदस्य पर जब भी कोई मुश्किल आती थी तो वह अपने फैलोशिप से मिलने वाले पैसों से उनकी मदद किया करती थी। हंसमुख इतनी थी कि सभी से हंसते-मुस्कुराते हुए बात करती और बात करने वाले को हंसाती थी। हर रोज सुबह अपनी दो साल की भतीजी दिशा व घरवालों से वीडियोकाल से बातें करना उसकी दिनचर्या में शामिल था।
पिता गोविंद ने बताया कि प्रगति ने बड़े भाई सत्यम को स्टेशनरी का काम शुरू करने में मदद की और घर बनवाने के लिए अपने जोड़े हुए रुपये दिए थे। भाई सत्यम का कहना है कि सभी की परेशानियों को दूर करने वाली प्रगति को यदि कोई परेशानी थी तो वह परिवार के सदस्यों को बता सकती थी। पिता गोविंद का कहना है कि वह आईआईटी से प्रशासन से पूछेंगे जरूर कि बेटी के साथ आखिर कैंपस में ऐसा क्या हुआ जो उसने जान देने का फैसला किया।
बड़े भाई सत्यम की दो साल की बेटी दिशा को प्रगति बेहद प्यार करती थी। बीती सात सितंबर को आईआईटी कैंपस में ही प्रगति ने दिशा का जन्मदिन पूरे परिवार के साथ मनाया था। सत्यम के मुताबिक वीडियोकाल में सबसे पहले प्रगति भतीजी दिशा से ही बात किया करती थी। बुधवार सुबह भी प्रगति ने दिशा व परिवार के लोगों के साथ बात की थी। गुरुवार को जरूर फोन नहीं आया, लेकिन क्या पता था कि दोपहर तक उसकी मौत की खबर ही आ जाएगी।
पुलिस सूत्रों की माने तो प्रगति ने जान देने का फैसला फंदा लगाने से कुछ घंटे पहले ही कर लिया था। इसके लिए उसने ऑनलाइन रस्सी हॉस्टल में मंगवाई थी। हॉस्टल में उसके कमरे से ऑनलाइन डिलीवरी का पैकेट पड़ा मिला। इसी पैकेट में रस्सी पैक होकर आई थी। शव के पैरों के पास स्टूल रखा था और दीवार किनारे फोल्डिंग पलंग खड़ा था, उसकी प्लाई निकली हुई थी। पुलिस ने प्रगति का मोबाइल भी कब्जे में लिया है।
शो रूम में भी पिता से मिलने आई थी प्रगति
प्रगति के पिता गोविंद बिरहाना रोड स्थित लाला पुरुषोत्तमदास ज्वैलर्स के शोरूम में सात साल से मैनेजर पद पर कार्यरत हैं। शो रूम के निदेशक विवेक गुप्ता ने बताया कि सप्ताह भर पहले ही प्रगति शोरूम में अपने पिता से मिलने भी आई थी। उस वक्त भी वह बेहद खुश थी।