सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
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विस्तार
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट परिसर का विस्तार नागरिकों के लिहाज से न्याय के लिए क्षमता निर्माण के अलावा न्याय के सिद्धांतों एवं कानून व्यवस्था को लेकर सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
शीर्ष अदालत के विस्तार के लिए सोमवार को एक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह जगह का विस्तार नहीं, बल्कि समयबद्ध और गरिमापूर्ण तरीके से न्याय देने की क्षमताओं का विस्तार करना है। उन्होंने कहा, ‘आज, हम अपनी न्याय प्रणाली के भविष्य की आधारशिला रख रहे हैं। एक ऐसा भविष्य जो प्रगति, पहुंच और आधुनिकता का वादा करता है। जैसे-जैसे राष्ट्र विकसित होता है, वैसे-वैसे हमारी कानूनी प्रणाली को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।’
सीजेआई के अलावा, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, शीर्ष अदालत के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और बीआर गवई ने भी सभा को संबोधित किया।
सीजेआई ने कहा कि शीर्ष अदालत का विस्तार बढ़ते मामलों के बोझ, नई न्यायिक शाखाओं और न्यायाधीशों, वकीलों तथा नागरिकों की जरूरतों को देखते हुए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मूल संरचना ऐसी ही रहेगी, वहीं परिसर का अन्यत्र विस्तार नई आधुनिक सुविधाओं का मार्ग प्रशस्त करेगा।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस अवसर पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के भवन का प्रस्तावित विस्तार, नया संसद भवन और सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका को बेहतर अवसंरचना प्रदान करने के प्रयासों का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भवन विस्तार परियोजना को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा 795 करोड़ रुपये की लागत से अगले पांच साल में दो चरणों में पूरा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, सर्व-समावेशी अदालतें बनाई जाएंगी और वादियों सहित सभी हितधारकों को अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। ‘जीवनयापन में आसानी’ सुनिश्चित करने के लिए, यह परियोजना न्यायपालिका के लिए ‘कार्य सुगमता’ बढ़ाएगी।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति बी आर गवई ने परियोजना के लिए राशि आवंटित करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। उन्होंने समारोह में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि न्याय का अधिकार मौलिक अधिकार है और अदालत कक्षों, वकीलों के कक्षों आदि के साथ नया अत्याधुनिक भवन नागरिकों को तेजी से न्याय दिलाने में कारगर होगा।
सरकार के योगदान की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, ‘कार्यपालिका के सहयोग के बिना हम इस परियोजना को लागू नहीं कर सकते थे। मैं प्रधानमंत्री के प्रति आभार जताता हूं, जिन्होंने 20 नवंबर, 2023 को इसी मंच से घोषणा की थी कि सरकार ने इस परियोजना के लिए 800 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं।’
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