बांग्लादेश में प्रदर्शन
– फोटो : एक्स/तारीक रहमान
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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। यही वजह है कि शनिवार को एक बार फिर हजारों की तादाद में बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के लोगों ने सड़कों पर उतर विरोध मार्च निकाला। इस विरोध मार्च के दौरान हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों ने सुरक्षा की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पूर्व की शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद से उन्हें हिंसा और धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।
शेख हसीना की सरकार जाने के बाद से बढ़े हमले
बीते अगस्त में एक छात्र आंदोलन के चलते शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतत्व में एक कार्यवाहक सरकार बांग्लादेश में प्रशासन कर रही है, लेकिन शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद से बांग्लादेश में हिदुओं और अन्य अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनके खिलाफ अल्पसंख्यक वर्ग द्वारा कई बार विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। मोहम्मद यूनुस ने भी अल्पसंख्यकों पर हमलों की बात को स्वीकार किया था, लेकिन कहा कि ये हमले धर्म के आधार पर नहीं बल्कि राजनीति से प्रेरित हैं।
अल्पसंख्यकों की सरकार से ये है नाराजगी
विरोध प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यकों ने मोहम्मद यूनुस सरकार से उन पर हो रहे हमलों के विरोध में कार्रवाई की मांग की है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह बेहद खेदजनक है कि बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार अल्पसंख्यकों द्वारा झेली जा रही पीड़ा को स्वीकार ही नहीं कर रही। लोगों के धर्म स्थलों, व्यवसायों और घरों पर हमले हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने और सरकार से अल्पसंख्यकों को न्यूनतम प्रतिनिधित्व अनिवार्य करने की मांग की।
इस सप्ताह चटगांव में अल्पसंख्यक अधिकार रैली में भाग लेने के लिए 19 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने के बाद से अल्पसंख्यकों में तनाव के हालात हैं। अल्पसंख्यक प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लोगों पर देशद्रोह के झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं, जिससे सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की आबादी कुल आबादी की 8 फीसदी है।
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