डोनाल्ड ट्रंप, निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति
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डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद अब अमेरिका के लोकतंत्र की फिर से परीक्षा होगी और सरकार तेजी से दक्षिणपंथ की तरफ झुकेगी। कमला हैरिस की हार और ट्रंप की जीत अमेरिका में कई पक्षों में बड़े बदलाव ला सकती है। यह राजनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर देश पर असर डालेगी। इस जनादेश के परिणामस्वरूप अमेरिकी लोकतंत्र पर दबाव पड़ने के आसार हैं। इसके अलावा अमेरिका में महिला राष्ट्रपति का इंतजार और बढ़ गया है। आइये देखते हैं कि ट्रंप को जो जनादेश मिला है उसका आगामी भविष्य में क्या असर हो सकता है…
लोकतंत्र पर भारी दबाव संभव
अमेरिकी लोकतंत्र पर दबाव पड़ने के आसार है। ट्रंप ने पहले कार्यकाल में अधिकारियों से निजी वफादारी की मांग की और विरोध करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया। उन्होंने अधिकारियों की ऐसी सूची बनाई जो उन्हें पुराने मानदंडों की उपेक्षा में मदद करने को तैयार हैं। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, टेक अरबपति एलन मस्क और रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर जैसे सहयोगी उनके पास हैं। ट्रंप ने राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा दिया है और विरोधियों के खिलाफ अमेरिकी सेना के इस्तेमाल का वादा किया है।
सहयोगी बड़े झटके के लिए तैयार
अमेरिका के सहयोगियों को किसी भी झटके लिए तैयार रहना चाहिए। नाटो में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठने के साथ रूस से संघर्ष में यूक्रेन की मदद खतरे में पड़ सकती है। मध्य पूर्व में अस्थिरता और अमेरिका में अचानक बदलाव आ सकते हैं। ट्रंप नेे अवैध प्रवासियों के निष्कासन जैसी सख्त आव्रजन नीतियों का वादा किया है। दोनों सदनों में बहुमत मिलने से उनके पास ताकत भी ज्यादा होगी।
बाइडन से आगे नहीं निकल पाईं हैरिस
हैरिस के खराब प्रदर्शन के लिए बाइडन पर आरोप तेज होंगे। एक साल तक शीर्ष डेमोक्रेट नेता इस बात को खारिज करते रहे कि 80 साल के बाइडन को फिर नहीं लड़ना चाहिए। हैरिस चुनाव अभियान में नई ऊर्जा लाईं तो अभियान फिर से प्रतिस्पर्धी बन गया। फिर भी बाइडन को राजनीतिक बोझ माना गया। हैरिस जताती रहीं कि वे बाइडन से अलग होंगी।
महिला राष्ट्रपति का इंतजार बढ़ा
अमेरिका में महिला राष्ट्रपति का इंतजार और बढ़ गया है। हिलेरी क्लिंटन ने 2016 में इन्हीं सीमाओं को तोड़ना प्रचार का मुख्य बिंदु बनाया था। कमला ने अपने लिंग या नस्ल पर ज्यादा जोर नहीं दिया। इसके बजाय खुद को नई पीढ़ी की अगुवा के तौर पर पेश किया। लेकिन न तो क्लिंटन और न ही हैरिस का तरीका ट्रंप के खिलाफ चल पाया।
ट्रंप के खिलाफ मुकदमे खतरे में
ट्रंप पर गोपनीय दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल और चुनाव में दखल के आरोप लगे हैं। अब उनकी सरकार शायद ये आरोप हटा देगी। उन्होंने पहले ही कहा है कि वह जैक स्मिथ को बर्खास्त करेंगे, जो बीते दो साल से इन मामलों की जांच कर रहे हैं। ट्रंप की एक सजा सुनवाई भी इसी महीने न्यूयॉर्क में है। इस पर भी असर पड़ेगा।
रिपब्लिकन का नियंत्रण ट्रंप के हाथ
रिपब्लिकन सीनेट और हाउस दोनों को नियंत्रित करेंगे। दोनों सदन जीतने से ट्रंप को अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में ज्यादा आसानी होगी, क्योंकि विरोध करने के लिए डेमोक्रेट्स सीमित होंगे। ये रिपब्लिकन सदस्य ट्रंप के लिए 2017 के मुकाबले अधिक सहायक होंगे। हालांकि, सीनेट में सुसन कॉलिन्स और लिसा मर्कोवस्की जैसे कुछ रिपब्लिकन उदारवादी हैं, लेकिन ट्रंप को उनके समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रतिनिधि सभा में कैलिफोर्निया ओरेगन और वाशिंगटन की कुुछ सीटें डेमोक्रेट्स जीत जाए तो भी निचले सदन में रिपब्लिकन का थोड़ा बहुत बहुमत रहने वाला ही है।
डेमोक्रेट्स एकता का अच्छा दौर खत्म
बहस में खराब प्रदर्शन के बाद बाइडन राष्ट्रपति चुनाव से हटे तो डेमोक्रेट्स ने हैरिस का समर्थन किया। हैरिस ने 100 दिनों कामयाबी के साथ बगैर विवाद के अभियान चलाया। इससे फंडिंग भी बढ़ी और समर्थन भी मिला, लेकिन चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अब पार्टी में मतभेद और दोषारोपण का सिलसिला शुरू हो सकता है। इससे भले ही कम वक्त के लिए ही सही डेमोक्रेट्स के बीच रही एकता के अब खतरे में पड़ सकती है।
ट्रंप देश की टिकाऊ राजनीतिक ताकत
2016 में ट्रंप की जीत के बाद से उनकी पार्टी हर बड़े चुनाव में हारी। पर, वह अमेरिकी राजनीति में सबसे बड़ी ताकत बने रहे। उन्होंने हर उस रिपब्लिकन को हाशिये पर डाल दिया, जिसने उन्हें चुनौती दी। ट्रंप पर चार बार आपराधिक आरोप लगे। एक बार दोषी ठहराए गए। अभियान के आखिरी दिनों में नस्लवादी चुटकुले सुनाए, राजनीतिक विरोधियों को धमकाने वाले लफ्जों का इस्तेमाल किया, फिर भी अमेरिकियों ने उन्हें गले लगा लिया।
दक्षिणपंथी झुकाव
राज्य अधिक दक्षिणपंथी नजरिया अपनाने लगे हैं। ट्रंप ने फ्लोरिडा में 13 फीसदी अंकों से जीत दर्ज की। 2020 के 10 अंक का अंतर था। टेक्सास में भी 10 अंक अधिक समर्थन मिला। उन्होंने ओहियो में 2020 के मुकाबले तीन अंक अधिक पाए। न्यूयॉर्क और वर्जीनिया जैसे पारंपरिक डेमोक्रेटिक राज्यों में भी ट्रंप की तरफ झुकाव दिखा। डेमोक्रेट्स ने इसका मुख्य रूप से गर्भपात अधिकारों पर ध्यान दिया, लेकिन यह रणनीति असरदार साबित नहीं हो सकी।
ग्रामीण अमेरिका भी ट्रंपमय हुआ
हैरिस ने मिनेसोटा के गवर्नर टिम वॉल्ज को अपना साथी चुना, ताकि ग्रामीण मतदाताओं का समर्थन मिले। वाल्ज की छोटे शहर वाले की छवि है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार किया,जबकि हैरिस ने बड़े शहरों पर ध्यान दिया। इससे भी ग्रामीण अमेरिका में ट्रंप के लिए लोगों का रुझान कम नहीं हुआ। डेमोक्रेट्स ग्रामीण क्षेत्रों में बीते चुनावों की तरह या उससे भी ज्यादा से हार गए। उन्हें उपनगरीय और शहरी क्षेत्रों में भी समर्थन कम मिला।