एएमयू अल्पसंख्यक दर्जा मामला
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देश की सर्वोच्च अदालत ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के दर्जे को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से फैसले में कहा है कि अल्पसंख्यक दर्जा सिर्फ इसलिए नहीं खोया जाता कि संस्थान कानून के जरिए बनाया गया था। पीठ ने 4:3 बहुमत से निर्णय सुनाते हुए एस. अजीज बाशा बनाम भारत संघ के 1967 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि किसी कानून द्वारा बनी संस्था अल्पसंख्यक संस्था होने का दावा नहीं कर सकती। अदालत ने कहा है कि एएमयू अल्पसंख्यक दावे का फैसला इस आधार पर किया जाएगा कि इसे किसने स्थापित किया। एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं इसका फैसला अब एक नियमित पीठ तय करेगी।
1965 में यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक स्वरूप खत्म कर दिया गया था। 1967 में यूनिवर्सिटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। तब से यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक का दर्जा पाने के लिए लड़ाई लड़ रही है।
आइये जानते हैं कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्ज को लेकर क्या विवाद है? यह मामला अदालत में कैसे पहुंचा? याचिका में क्या मांग की गई है? अब सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया है? 1967 का फैसला किया था जिसे खारिज कर दिया गया? अब मामले में आगे क्या होगा?