रथ सप्तमी पर सूर्य पूजा प्राचीन काल से चली आ रही है. श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब से भी इस व्रत और सूर्य पूजा करवाई थी,मान्यता है कि इससे सांब की कोढ़ की बीमारी दूर होने में मदद मिली थी.
रथ सप्तमी सूर्य से जुड़ा पर्व है इसलिए इस दिन सूर्य नमस्कार का महत्व ज्यादा है. ‘सूर्य नमस्कार’ का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है. इससे न सिर्फ लंबी आयु बल्कि आरोग्य की प्राप्ति होती है.
हिंदू धर्म में संख्या 108 को अस्तित्व की संपूर्णता का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है. ऐसे में रथ सप्तमी के दिन सूर्य की रोशनी में 108 बार सूर्य नमस्कार करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार तेजी से बढ़ता है.
रथ सप्तमी पर सूर्य नमस्कार करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए – ‘आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने. आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते. सूर्य नमस्कार करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और नर्वस सिस्टम सही रहता है. जिससे आपकी चिंता दूर होती है.
सूर्य नमस्कार में 12 आसन ही क्यों है – इसमें भगवान सूर्य के 12 रूपों को 12 मुद्राओं में नमस्कार किया जाता है, इसलिए सूर्य नमस्कार 12 बार किया जाता है.
सूर्य नमस्कार में किए जाने वाले 12 आसान के नाम है – प्रणामासन, हस्त उत्तानासन, हस्तपादासन, अश्व संचलानासन, अधोमुख श्वानासन, पर्वतासन, अष्टांग नमस्कार , भुजंगासन, पर्वतासन, अश्व संचलानासन, ताड़ासन और हस्तपादासन
Published at : 03 Feb 2025 08:26 PM (IST)
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