Ramadan 2025: रमज़ान इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस दौरान दुनियाभर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं और नेक कामों में हिस्सा लेते हैं. भारत में पहला रोज़ा 2 मार्च को रखा गया था.
इस्लाम में रमज़ान की शुरुआत दूसरी हिजरी (624 ईस्वी) में हुई थी और तब से यह परंपरा चली आ रही है. इस्लाम में रोज़ा रखना पांच बुनियादी स्तंभों (फाइव पिलर्स) में से एक है. ये पांच स्तंभ हैं:
- तौहीद – अल्लाह को एक मानना और उनके नबी के बताए रास्ते पर चलना.
- नमाज – दिन में पांच वक्त की नमाज अदा करना.
- जकात – गरीबों को दान देना.
- रोज़ा – रमज़ान के पूरे महीने उपवास रखना.
- हज – इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार सक्षम मुसलमानों का मक्का की यात्रा करना.
रोज़ा रखने वाले मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी नहीं खाते और न ही पानी पीते हैं. यह सिर्फ खान-पान से परहेज करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्मसंयम और आध्यात्मिक शुद्धि का भी माध्यम है.
सहरी – रोज़े की शुरुआत सहरी से होती है, जो सूरज निकलने से पहले किया जाता है. इसके बाद पूरे दिन कुछ नहीं खाया-पिया जाता और सूर्यास्त के समय इफ्तार के साथ रोज़ा खोला जाता है. इस दौरान मुसलमान नमाज पढ़ते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने रोज़मर्रा के काम करते हैं.
भूलकर भी न करें ये काम – रोज़े के दौरान केवल खाने-पीने से परहेज करना ही जरूरी नहीं होता, बल्कि आचरण और व्यवहार पर भी नियंत्रण रखना होता है. किसी को जुबान से तकलीफ देना, किसी का नुकसान करना या कोई गलत काम देखना मना होता है. रोज़े की हालत में यौन संबंध बनाने की भी मनाही होती है और यदि रात में ऐसा होता है तो सुबह सहरी से पहले पाक (शुद्ध) होना जरूरी है.
शबे कद्र – रमज़ान के दौरान सबसे खास रात शबे क़द्र होती है, जिसे “हज़ार रातों से बेहतर” कहा गया है. माना जाता है कि इसी रात पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) पर क़ुरआन शरीफ का पहला संदेश (वह़्यी) नाज़िल हुआ था. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, इस महीने में हर नेक काम का सवाब (पुण्य) कई गुना बढ़ जाता है.
नमाज – रमज़ान के दौरान मुसलमान तरावीह नमाज भी पढ़ते हैं. यह विशेष नमाज ईशा की नमाज के बाद अदा की जाती है और इसमें 20 रकात नमाज होती है. इस दौरान क़ुरआन की तिलावत की जाती है, और पूरे रमज़ान में क़ुरआन के 30 पारे (अध्याय) मुकम्मल किए जाते हैं.
उत्तराखंड समेत पूरे भारत में रमज़ान के दौरान खासा उत्साह देखा जा रहा है. देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार और उधम सिंह नगर सहित कई जगहों पर इफ्तार के लिए खास तैयारियां की जा रही हैं. सभी रोज़ों के साथ मुसलमान तरावीह नमाज भी अदा कर रहे हैं
रमजान क्यों है खास
रमज़ान केवल उपवास रखने का महीना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक सुधार, आत्मसंयम और परोपकार का संदेश देने वाला समय है. यह महीना हर मुसलमान को संयम, सहानुभूति और अल्लाह की इबादत में व्यस्त रहने की प्रेरणा देता है. रमज़ान के 30 रोज़ों के बाद ईद-उल-फितर का पर्व मनाया जाता है. यह त्योहार रमज़ान की समाप्ति का प्रतीक होता है और इस दिन लोग मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं, एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं और दान-दक्षिणा (फित्रा) देकर गरीबों की मदद करते हैं.
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