बीना/सोनभद्र/एबीएन न्यूज। विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर सोमवार को स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय सभागार, सोनभद्र में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अश्वनी कुमार ने की। उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस बी और सी से बचाव संभव है, लेकिन इसके लिए समय पर जांच और टीकाकरण बेहद जरूरी है।
सीएमओ ने बताया कि हेपेटाइटिस एक वायरल संक्रमण है जो मुख्यतः 5 प्रकार का होता है – A, B, C, D और E। इनमें A और E दूषित भोजन व पानी से फैलते हैं, जबकि B, C और D संक्रमित खून, सुई, असुरक्षित यौन संबंध या माँ से बच्चे में संक्रमण के कारण फैलते हैं। इनमें B और C सबसे खतरनाक माने जाते हैं, क्योंकि ये क्रोनिक लिवर डिजीज का कारण बन सकते हैं।
कार्यक्रम में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. सुरेश सिंह ने कहा कि हेपेटाइटिस लिवर की सूजन है, जो धीरे-धीरे लीवर को नुकसान पहुंचाती है। कई बार इसके लक्षण सामने नहीं आते और समय पर इलाज न मिलने पर यह लिवर फेल्योर, सिरोसिस या कैंसर में बदल सकती है।
नोडल अधिकारी डॉ. गिरधारी लाल ने कहा कि सभी गर्भवती महिलाओं की हेपेटाइटिस बी की जांच अनिवार्य रूप से कराई जानी चाहिए। धनात्मक पाई गई महिलाओं की डिलीवरी स्वास्थ्य केंद्र पर होनी चाहिए और नवजात शिशु को जन्म के 24 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की पहली खुराक दी जानी चाहिए। यह टीका जिले के सभी उपकेंद्रों पर प्रत्येक बुधवार व शनिवार को और मॉडल इम्यूनाइजेशन सेंटर (MIC) पर निःशुल्क उपलब्ध है।

डॉ. एस.एस. पांडेय ने बताया कि WHO के वर्ष 2022-23 के सर्वे के अनुसार दुनिया में 254 मिलियन लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस से ग्रसित हैं, जिनमें से हर साल लगभग 1 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है। उन्होंने कहा कि संक्रमित सिरिंज, असुरक्षित यौन संबंध, टैटू बनवाने, या व्यक्तिगत वस्तुओं जैसे रेजर, ब्लेड, नेल कटर और टूथ ब्रश साझा करने से भी संक्रमण फैलता है।
कार्यक्रम में जिला अस्पताल में उपलब्ध निःशुल्क जांच और उपचार सेवाओं की जानकारी भी दी गई। इस अवसर पर ब्लड बैंक प्रभारी, मेडिकल कॉलेज फैकल्टी के अधिकारी-कर्मचारी, ब्लॉक अधीक्षक, ट्रीटमेंट सेंटर के स्टाफ और एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के कर्मचारी भी उपस्थित रहे।