पुलवामा और पहलगाम जैसे इलाकों में निर्दोष नागरिकों के खून से हाथ रंगने वाले आतंकवादी सोच भी नहीं सकते थे कि उनका आखिरी वक्त ऐसे आएगा. जिस रास्ते से वे बार-बार भारत में घुसपैठ कर रहे थे, अब वहीं रास्ता उनका जाल बन गया. सुरंगें, जो पहले उनकी सुरक्षा थीं, अब उनका फंदा बन गईं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर सुरक्षा एजेंसियों की एक रणनीति ने आतंकियों की वापसी का रास्ता बंद कर दिया और यहीं से शुरू हुआ उनके अंत का आखिरी अध्याय.
ऐसे हुआ पहलगाम के गुनहगारों का खात्मा
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उस खास 8 किलोमीटर के रूट की पहचान की, जिसे आतंकी लंबे समय से घुसपैठ के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. इस जांच के दौरान कुछ गुप्त सुरंगों का पता चला, जिनका उपयोग सीमापार से भारत में आने-जाने के लिए किया जाता था. जैसे ही सुरंगों का खुलासा हुआ, सुरक्षाबलों ने उनमें पानी भर दिया. इसका नतीजा ये हुआ कि पहलगाम में छिपे आतंकवादियों की वापसी की हर उम्मीद खत्म हो गई. चारों तरफ से घिर चुके इन आतंकियों को बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला और यहीं हुआ 26 बेगुनाहों के कातिलों का खात्मा.
हमलावरों की पुष्टि के लिए रात भर जागे केंद्रीय गृह मंत्री
एनडीटीवी ने सरकारी सूत्रों के हवाले में अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अमित शाह संसद को सूचित करने से पहले पूरी तरह से सुनिश्चित होना चाहते थे कि ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकवादी वही हैं, जो पहलगाम हमले में शामिल थे. इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रात भर जागकर इसकी निगरानी की. वहीं, इस आंतकियों की पुष्टि करने के लिए चंडीगढ़ फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (CFSL) के वैज्ञानिकों ने भी रात भर कार्य किया.
ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकियों के हथियारों को विशेष विमान के जरिए कश्मीर से चंडीगढ़ स्थित चंडीगढ़ फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (CFSL) भेजा गया, जहां वैज्ञानिकों ने बुलेट कैसिंग्स का मिलान किया और यह बात साबित हो गई कि ऑपरेशन महादेव में मारे गए तीनों आतंकवादी वही हैं, जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में 26 निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या की थी.
सुबह पांच बजे तक वैज्ञानिकों के संपर्क में थे अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री मंगलवार (29 जुलाई) की सुबह 5 बजे तक CFSL के वैज्ञानिकों के साथ संपर्क में थे और पुष्टि मिलने के बाद उन्होंने कुछ घंटे आराम किया और फिर संसद में उपस्थित हुए. मंगलवार (29 जुलाई) को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान अमित शाह ने कहा, “अब शक की कोई गुंजाइश नहीं है. मेरे हाथ में बैलिस्टिक रिपोर्ट है. छह वैज्ञानिकों ने इसकी क्रॉस-जांच की है और वीडियो कॉल पर मुझे पुष्टि की है कि पहलगाम में चली गोलियां और इन बरामद हथियारों से चली गोलियां 100 प्रतिशत मेल खाती हैं.”
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