जहां संसार भर में रक्षाबंधन भाई-बहन के स्नेह का पर्व है, वहीं ब्रज की भूमि पर यह पर्व ईश्वर और भक्त के निश्छल प्रेम की जीवंत अनुभूति बन जाता है। वृंदावन के श्रीबांकेबिहारी मंदिर में रक्षाबंधन पर्व पर भक्ति और अनुराग का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। इस पर्व को अपने आराध्य के साथ मनाने के लिए देश-विदेश से बहनें ठाकुरजी के लिए राखी भेजतीं हैं।
9 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधेंगी। इस दिन के लिए देश-विदेश से हजारों धर्म बहनें ठाकुरजी को राखियां, उपहार व स्नेहभरे पत्र भेज रही हैं। वे उन्हें अपना धर्मभाई मानकर यह पावन पर्व मनाती हैं, जिसमें उनका प्रेम इतना आत्मीय होता है कि हर वर्ष काफी संख्या में राखियां बांकेबिहारीजी की कोमल कलाइयों पर सजती हैं।
इतिहासकार आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी के मुताबिक प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में आने वाली इन राखियों में रेशम की राखी, स्वर्ण रजत राखी, नोटों की राखी सहित तमाम तरह के धातुओं की राखियां आराध्य के लिए पहुंचती हैं। भारत के उप्र, मप्र, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, बंगाल इत्यादि बहुत से राज्यों के अनेक नगरों के साथ-साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, दुबई, कनाडा आदि विदेशों में रहने वाले तमाम भक्त परिवारों की ओर से राखी बंधन सामग्री भेजी जाती हैं।
पूर्व की भांति इस बार भी राखियां आने का क्रम जारी हो चुका है, जो राखी पूनौ तक निरंतर चलेगी। पर्व वाले दिन तक पहुंचने वाली समस्त राखी पूजन सामग्री 9 अगस्त को रक्षाबंधन महोत्सव की मंगलमयी बेला में आराध्य की सेवार्थ समर्पित की जाएंगी। संवाद
राखी के साथ आते हैं स्नेह पत्र
सेवायत बताते हैं कि इन राखियों के साथ आने वाले पत्रों में बहनें अपने बांके भैया को अपने जीवन की उलझनों, मनोकामनाओं और आशाओं से अवगत कराती हैं। कोई उन्हें जीवनसाथी की प्रार्थना भेजता है, कोई संतान सुख की विनती, कोई रक्षा और मार्गदर्शन की याचना करता है। ये पत्र सिर्फ शब्द नहीं होते, ये बहनों की आत्मा की पुकार होते हैं और भगवान की प्रेममयी मुस्कान इसका उत्तर।