Parivartini Ekadashi Vrat 2025 in Hindi: सनातन धर्म में भाद्रपद महीने का विशेष महत्व होता है. इस महीने में जगत के पालनकर्ता भगवान श्रीकृष्ण और शुक्ल पक्ष में राधा रानी जी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इसके साथ ही भाद्रपद महीने में गणेश महोत्सव भी मनाया जाता है. इसके अलावा कई ऐसे तीज त्योहार हैं, जो भाद्रपद महीने में प्रमुख तौर पर मनाए जाते हैं.
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दश्मी तिथि के अगले दिन ही परिवर्तिनी एकादशी भी धूमधाम से मनाई जाती है. इस शुभ मौके पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा अर्चना करने के साथ एकादशी व्रत भी रखा जाता है. आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी सही तिथि, मुहूर्त, महत्व, दान आदि के बारे में.
परिवर्तिनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Parivartini Ekadashi Shubh Muhurat)
परिवर्तिनी एकादशी तिथि की शुरुआत 03 सितंबर की देर रात 03 बजकर 53 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 04 सितंबर को सुबह 04 बजकर 21 मिनट पर इस व्रत का समापन होगा.
सरल शब्दों में समझाएं तो सनातन धर्म में सूर्योदय के बाद से ही तिथि की गणना होती है. प्रदोष और निशा काल में होने वाली पूजा उदया तिथि से नहीं गिनी जाती है. इस प्रकार 03 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी मनाई जाएगी.
परिवर्तिनी एकादशी तिथि का पंचांग |
सूर्योदय- सुबह 6 बजे |
सूर्यास्त- शाम 06 बजकर 40 मिनट पर |
चंद्रोदय-शाम 03 बजकर 51 मिनट पर |
चंद्रास्त-देर रात 02 बजकर 7 मिनट पर |
ब्रह्म मुहूर्त का समय-सुबह 04 बजकर 30 मिनट से लेकर 05 बजकर 15 मिनट तक रहेगा |
विजय मुहूर्त-दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से लेकर 03 बजकर 18 मिनट तक |
गोधूलि मुहूर्त का समय-शाम 06 बजकर 40 मिनट से लेकर 07 बजकर 03 मिनट तक रहेगा |
निशिता मुहूर्त का समय- रात 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगा |
परिवर्तिनी एकादशी तिथि महत्व (Parivartini Ekadashi 2025 Importance)
परिवर्तिनी एकादशी व्रत जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन विशेष तौर पर लक्ष्मी-नारायण भगवान की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी और प्रभु नारायण अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है.
परिवर्तिनी एकादशी पर क्या दान करना शुभ (Parivartini Ekadashi 2025 Daan)
- परिवर्तिनी एकादशी के मौके पर अनाज और भोजन का दान करना बेहद शुभ माना जाता है. जरूरतमंदों को इसका दान करने से धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है.
- परिवर्तिनी एकादशी के दिन पीले रंग के वस्त्रों को दान करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है.
- इस दिन मौसमी फलों का दान करना भी सही माना जाता है.
- परिवर्तिनी एकादशी के दिन तिल का दान करने से शनि दोषों से छुटकारा मिलता है.
- इस दिन गो दान करने से सभी तरह के विघ्न दूर होते हैं.
- परिवर्तिनी एकादशी के दिन घी और शहद का दान करने से जीवन में भगवान हरि की कृपा प्राप्त होती है.
परिवर्तिनी एकादशी 108 दिव्य मंत्र (Parivartini Ekadashi Mantra)
- ऊं श्री तुलस्यै नमः
- ऊं नन्दिन्यै नमः
- ऊं देव्यै नमः
- ऊं शिखिन्यै नमः
- ऊं धारिण्यै नमः
- ऊं धात्र्यै नमः
- ऊं सावित्र्यै नमः
- ऊं सत्यसन्धायै नमः
- ऊं कालहारिण्यै नमः
- ऊं गौर्यै नमः
- ऊं देवगीतायै नमः
- ऊं द्रवीयस्यै नमः
- ऊं पद्मिन्यै नमः
- ऊं सीतायै नमः
- ऊं रुक्मिण्यै नमः
- ऊं प्रियभूषणायै नमः
- ऊं श्रेयस्यै नमः
- ऊं श्रीमत्यै नमः
- ऊं मान्यायै नमः
- ऊं गौर्यै नमः
- ऊं गौतमार्चितायै नमः
- ऊं त्रेतायै नमः
- ऊं त्रिपथगायै नमः
- ऊं त्रिपादायै नमः
- ऊं त्रैमूर्त्यै नमः
- ऊं जगत्रयायै नमः
- ऊं त्रासिन्यै नमः
- ऊं गात्रायै नमः
- ऊं गात्रियायै नमः
- ऊं गर्भवारिण्यै नमः
- ऊं शोभनायै नमः
- ऊं समायै नमः
- ऊं द्विरदायै नमः
- ऊं आराद्यै नमः
- ऊं यज्ञविद्यायै नमः
- ऊं महाविद्यायै नमः
- ऊं गुह्यविद्यायै नमः
- ऊं कामाक्ष्यै नमः
- ऊं कुलायै नमः
- ऊं श्रीयै नमः
- ऊं भूम्यै नमः
- ऊं भवित्र्यै नमः
- ऊं सावित्र्यै नमः
- ऊं सरवेदविदाम्वरायै नमः
- ऊं शंखिन्यै नमः
- ऊं चक्रिण्यै नमः
- ऊं चारिण्यै नमः
- ऊं चपलेक्षणायै नमः
- ऊं पीताम्बरायै नमः
- ऊं प्रोत सोमायै नमः
- ऊं सौरसायै नमः
- ऊं अक्षिण्यै नमः
- ऊं अम्बायै नमः
- ऊं सरस्वत्यै नमः
- ऊं सम्श्रयायै नमः
- ऊं सर्व देवत्यै नमः
- ऊं विश्वाश्रयायै नमः
- ऊं सुगन्धिन्यै नमः
- ऊं सुवासनायै नमः
- ऊं वरदायै नमः
- ऊं सुश्रोण्यै नमः
- ऊं चन्द्रभागायै नमः
- ऊं यमुनाप्रियायै नमः
- ऊं कावेर्यै नमः
- ऊं मणिकर्णिकायै नमः
- ऊं अर्चिन्यै नमः
- ऊं स्थायिन्यै नमः
- ऊं दानप्रदायै नमः
- ऊं धनवत्यै नमः
- ऊं सोच्यमानसायै नमः
- ऊं शुचिन्यै नमः
- ऊं श्रेयस्यै नमः
- ऊं प्रीतिचिन्तेक्षण्यै नमः
- ऊं विभूत्यै नमः
- ऊं आकृत्यै नमः
- ऊं आविर्भूत्यै नमः
- ऊं प्रभाविन्यै नमः
- ऊं गन्धिन्यै नमः
- ऊं स्वर्गिन्यै नमः
- ऊं गदायै नमः
- ऊं वेद्यायै नमः
- ऊं प्रभायै नमः
- ऊं सारस्यै नमः
- ऊं सरसिवासायै नमः
- ऊं सरस्वत्यै नमः
- ऊं शरावत्यै नमः
- ऊं रसिन्यै नमः
- ऊं काळिन्यै नमः
- ऊं श्रेयोवत्यै नमः
- ऊं यामायै नमः
- ऊं ब्रह्मप्रियायै नमः
- ऊं श्यामसुन्दरायै नमः
- ऊं रत्नरूपिण्यै नमः
- ऊं शमनिधिन्यै नमः
- ऊं शतानन्दायै नमः
- ऊं शतद्युतये नमः
- ऊं शितिकण्ठायै नमः
- ऊं प्रयायै नमः
- ऊं धात्र्यै नमः
- ऊं श्री वृन्दावन्यै नमः
- ऊं कृष्णायै नमः
- ऊं भक्तवत्सलायै नमः
- ऊं गोपिकाक्रीडायै नमः
- ऊं हरायै नमः
- ऊं अमृतरूपिण्यै नमः
- ऊं भूम्यै नमः
- ऊं श्री कृष्णकान्तायै नमः
- ऊं श्री तुलस्यै नमः
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