आगरा के केदार नगर में हिंदू से ईसाई धर्मांतरण कराने वाले आठ लोगों की गिरफ्तारी में क्षेत्र के रहने वाले घनश्याम हेमलानी ने अहम भूमिका निभाई। आरोपी राजकुमार लालवानी ने उनका भी धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया था। इस पर उन्हें लगा कि इस तरह से सैकड़ों परिवार को शिकार बनाया जा रहा है। इसलिए उन्होंने सनातन धर्म को बचाने के लिए जासूस की तरह काम किया। दिल्ली से कैमरे वाला चश्मा खरीदकर लाए। बिना मोबाइल के प्रार्थना सभा में गए। चश्मे में लगे कैमरे से रिकाॅर्डिंग कर पुलिस के पास तक पहुंचा दी। इससे सारा सच सामने आ गया।

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पुलिस की गिरफ्त में धर्मांतरण कराने वाला आरोपी
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
घनश्याम हेमलानी ने बताया 8 मई को कुछ महिलाएं उनकी पत्नी को बहलाकर कीर्तन में बीमारी दूर करने के बहाने से ले गईं। वहां उनके हाथ से कलावा काट दिया। कहा कि घर से देवी देवताओं की प्रतिमा भी फेंक दो। तभी बेटी की शादी और मकान मिल पाएगा। उन्होंने घर आकर पति को सारी बात बताई। इस पर वह 6 जुलाई को अपने साथ शाहगंज निवासी समाजसेवी सुनील कर्मचंदानी को इलाज के लिए लेकर गए। वहां दोनों के हाथ के कलावा और टीका हटा दिया। अंदर मोबाइल ले जाने से मना कर दिया। आरोपियों ने जल्द बीमारी दूर करने का आश्वासन दिया।सभा में मोबाइल लेकर जाने की इजाजत नहीं थी। 13 जुलाई को वह कमर में मोबाइल छिपाकर ले गए। कीर्तन के बाद मौन करने के दौरान थोड़ा सा वीडियाे बना लिया। डर से मोबाइल अंदर रख लिया। उन्हें डर था कि आरोपियों ने पकड़ लिया तो जाने से मार देंगे।

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कुछ इस तरह कराया जाता था धर्मांतरण
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
बाद में सनातन धर्म को बचाने की ठानी। दिल्ली से कैमरे वाला चश्मा लेकर आ गए। कीर्तन में उससे आरोपियों की सारी गतिविधियों के वीडियो बना लिए। पुलिस को सौंप दिए। उन्होंने सुनील कर्मचंदानी के माध्यम से साक्ष्य पुलिस आयुक्त को दिखाए। तब पूरे प्रकरण का खुलासा हो गया। आगरा में शाहगंज पुलिस ने धर्मांतरण कराने वाले गिरोह के मुख्य आरोपी राजकुमार लालवानी और तीन महिलाओं सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोपी प्रार्थनासभा में लोगों को बहाने से बुलाते थे। ईसाई धर्म अपनाने पर बीमारी और गरीबी दूर करने का झांसा देते थे। घर से देवी-देवताओं की मूर्तियां हटाने का दबाव डालते थे। हाथों से कलावे कटवा देते थे। तिलक लगाने से रोक देते थे। मुख्य आरोपी भी चार साल पहले हिंदू से ईसाई बना था। इसके बाद अन्य लोगों का धर्म परिवर्तन कराने लगा। उसके संपर्क में कई और लोग हैं। उनके बारे में पुलिस पड़ताल में लगी है।

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पुलिस की गिरफ्त में धर्मांतरण कराने वाला आरोपी
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डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि इस मामले में केदार नगर निवासी घनश्याम हेमलानी ने पुलिस से शिकायत की थी। बताया कि उसे राजकुमार ने दो से तीन बार अपने घर बुलाया। इस दाैरान हाथ में बंधा कलावा खुलवा दिया। तिलक हटवा दिया। घर से मूर्ति हटाने के लिए कहा। इस पर उन्हें शक हो गया। घनश्याम की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर कार्रवाई की। गिरफ्तार आरोपी राजकुमार लालवानी चार साल पहले उल्लहास नगर, महाराष्ट्र गया था। यहां पर हिंदू से ईसाई बन गया। अपने घर आने के बाद धर्म परिवर्तन कराने लगा। लोगों को विश्वास में लेकर बीमारी ठीक करने के नाम पर यीशु का स्मरण कराता था। इसके बाद बाइबल पढ़ने को कहता था। इसी के नाम पर पैसा भी लेता था। बच्चों की अच्छी पढ़ाई व किसी क्रिश्चियन मिशनरी में नौकरी दिलाने की बात करता था। इससे लोग झांसे में आ जाते थे।

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पुलिस की गिरफ्त में धर्मांतरण कराने वाले आरोपी
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कलावे काट दो, तिलक मिटा दो…
पुलिस के मुताबिक, हिंदू से ईसाई बनने वालों को कभी भी कलावा नहीं पहनने दिया जाता था। तिलक भी नहीं लगाने देते थे। हर सभा में कलावा काटने और तिलक मिटाने की बात कहते थे। धर्म परिवर्तन करने वाले घर में मूर्ति नहीं रखते थे। इसके लिए मना कर दिया जाता था। जो लोग कीर्तन सभा में मांस खाकर खून पीते हैं, वह ईसाई बन जाते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें किसी तरह का प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता था। कई बार लोगों के कष्ट दूर करने के नाम पर रकम भी ली जाती थी। इससे जो फायदा होता था, उसे आरोपी आपस में बांट लिया करते थे।