नई दिल्ली. आंखों में आंसू, मन में पीड़ा और दिल में जुबिन दा का साथ… यही नजारा है आज असम के हर सिनेमाघर का… असम के संगीत सम्राट जुबिन गर्ग की आखिरी फिल्म ‘रोई रोई बिनाले’ आज रिलीज हो गई. पोस्टर में जुबिन समुद्र के पानी को छूते नजर आ रहे हैं. विडंबना ये कि समुद्र ने ही 19 सितंबर को सिंगापुर में उनकी जान ले ली. जुबिन ने जिंदगी में लोगों को जोड़ने का काम किया. वो अब उनकी मौत के बाद और बड़े पैमाने पर हो रहा है.
फिल्म ‘रोई रोई बिनाले’, जिसमें वे एक अंधे सिंगर का रोल निभाते नजर आ रहे हैं, जो समुद्र को महसूस करना चाहता है. इस फिल्म का नाम ही असमिया में ‘रोई रोई बिनाले’ है, जिसका अर्थ है ‘रुक-रुक कर रोना’, जो आज असम के साथ पूरे भारत में हर घर जुबिन गर्ग का फैन महसूस कर रहा है.
सुबह 4:35 बजे से ही टूटे रिकॉर्ड
फिल्म की रिलीज से पहले ही इसका जादू देखने लायक था. असम के लगभग 80 सिनेमाघरों ने अपने सभी दूसरे शो रद्द कर सिर्फ ‘रोई रोई बिनाले’ के लिए पर्दे खोले. इतना ही नहीं, राज्य में पहली बार 4:35 बजे सुबह का शो रखा गया. बंद पड़े दो थिएटर को सालों बाद इसी फिल्म के लिए खोला गया. जो हैं जगीरोड का गणेश टॉकीज और नलबाड़ी के तिहू का गांधी भवन. फिल्म ने असम की सिनेमा की तस्वीर बदल दी. फिल्म ने रिलीज से पहले ही 50 लाख रुपये का बिजनेस कर लिया था. जो असम की किसी भी फिल्म के लिए एक नया रिकॉर्ड है
19 साल से जुबिन के पास थी कहानी
लेखिका रीता चौधरी से आखिरी बातचीत में जुबिन इस फिल्म को लेकर बात की थी. उन्होंने कहा था- ‘ये कहानी मेरे पास 19 साल से है.’ वह इस फिल्म के लिए पिछले 3 साल से मेहनत कर रहे थे. फिल्म समुद्र से शुरू होकर समुद्र पर खत्म होती है.
जुबिन दा की हेड राइटिंग में लिखा ये खत लोगों को इमोशनल कर रहा है.
जुबिन दा का आखिरी खत
फिल्म की रिलीज से कुछ दिन पहले, जुबीन की पत्नी गरिमा ने उनका एक लेटेर शेयर किया, जो उन्होंने 15 सितंबर को फैंस के नाम लिखा था. इसमें जुबीन ने लिखा था- ‘रुको, थोड़ा और रुको – मेरी नई फिल्म आ रही है. जरूर आकर देखना. प्यार, ज़ुबीन दा’. यह खत आज उनकी आखिरी विदाई का संदेश बन गया है.
पत्नी हैं फिल्म की को-प्रोड्यूसर, सरकार ने दिखाया सम्मान
जुबिन गर्ग की पत्नी और को-प्रोड्यूसर गरिमा सैकिया गर्ग ने दुख के बावजूद, अपने पति का वादा निभाते हुए 31 अक्टूबर को फिल्म रिलीज की. असम सरकार ने भी घोषणा की है कि ‘रोई रोई बिनाले’ से मिलने वाले राज्य के जीएसटी हिस्से को जुबिन के ‘कलागुरु आर्टिस्ट फाउंडेशन’ को दान किया जाएगा. वह संस्था जो उन्होंने कलाकारों और बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए बनाई थी.
1992 में शुरू हुआ जुबिन का सिंगिंग करियर
जुबिन का सफर 1992 के एल्बम ‘अनामिका’ से शुरू हुआ था. ‘माया’ और बॉलीवुड के सुपरहिट गाने ‘या अली’ के जरिए उन्होंने दिलों में जगह बनाई. उन्हें ‘ज़ुबिनिज्म’ का प्रतीक कहा गया, एक ऐसी भावना, जो संगीत और सिनेमा के जरिए लोगों को जोड़ती है.
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