पूर्व कानून मंत्री
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पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस नेता अश्विनी कुमार ने कहा कि आम चुनाव के अवसर पर चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करने से काले धन की भूमिका बढ़ जाएगी। चुनावी बॉन्ड योजना पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि बॉन्ड पर काफी चर्चा हुई। इसकी सराहना की गई। इसकी आलोचना भी की गई लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि फैसले का प्रभाव क्या होगा। योजना का संवैधानिक उद्देश्य चुनाव के वित्तपोषण में पार्दर्शिता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र खत्म हो रहा है। लोकतंत्र को संस्थाओं द्वारा नहीं बल्कि लोगों द्वारा बचाया जा सकता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपनी किताब ‘ए डेमोक्रेसी इन रिट्रीट: रीविजिटिंग द एंड्स ऑफ पावर’ पर चर्चा करते हुिए कहा कि लोकसभा चुनाव लड़ने में 15 से 20 करोड़ रुपये का खर्च आता है। वह व्यक्ति, जो राजनीति के बारे में थोड़ा भी जानता है, उसे पता होगा कि तमिलनाडु-आंध्र प्रदेश में यह राशि काफी ज्यादा हो जाती है। लेकिन 15 से 20 करोड़ से कम में आप चुनाव नहीं लड़ सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर लगा दी थी रोक
बीती 15 फरवरी को पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र की इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के एकमात्र फाइनेंशियल संस्थान एसबीआई बैंक को 12 अप्रैल 2019 से अब तक हुई इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद की पूरी जानकारी 6 मार्च तक देने का आदेश दिया था।