नई दिल्ली. ‘ही ही ही ही हंस देले, रिंकिया के पापा’ और ‘जिया हो बिहार के लाला’ जैसे गानों के साथ पॉपुलर हुए भोजपुरी एक्टर, सिंगर और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने हाल ही में भोजपुरी इंडस्ट्री के बदलाव को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिनेमा को बदलते समय के साथ आगे बढ़ने के लिए सत्यजीत रे और प्रकाश झा जैसे संवेदनशील फिल्म निर्माताओं की जरूरत है. इसके साथ उन्होंने एक ऐसा सुझाव भी दिया, जिसको अगर मेकर्स ने अपनाया तो भोजपुरी इंडस्ट्री पक्का साउथ सिनेमा को टक्कर दे सकती है.
मनोज तिवारी ने माना की भारी लोकप्रियता के बाद भी भोजपुरी सिनेमा अभी भी राष्ट्रीय स्तर पर नहीं पहुंच पाया है. उन्होंने क्यों कहा कि भोजपुरी सिनेमा को आगे ले जाने के लिए हमें कदम उठाने की जरूरत है. भोजपुरी एक्टर, सिंगर ने क्या सुझाव दिए, चलिए आपको बताते हैं…
लोकप्रियता के बावजूद पिछड़ी भोजपुरी इंडस्ट्री
मनोज तिवारी भोजपुरी इंडस्ट्री के बड़े नामों में से एक हैं. ‘ससुरा बड़ा पैसावाला’, ‘दरोगा बाबू आई लव यू’ और ‘बंधन टूटे’ सहित 100 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके भोजपुरी स्टार ने हाल ही में न्यूज एजेंसी पीटीआई संपादकों के साथ बातचीत में की. उन्होंने कहा कि भारी लोकप्रियता के बावजूद, क्षेत्र का सिनेमा अभी भी राष्ट्रीय स्तर पर नहीं पहुंच पाया है और इसके लिए कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए, हमें प्रकाश झा, सत्यजीत रे साहब जैसे निर्देशकों की भी जरूरत है. हमारे पास बहुत सारे दर्शक हैं, लेकिन हम अभी भी उस स्तर तक नहीं पहुंच पाए हैं.
सत्यजीत रे-प्रकाश झा जैसे निर्देशकों की जरूरत
सिनेमा के दिग्गज सत्यजीत रे ने ‘पाथेर पांचाली’, ‘अपराजितो’, ‘अपुर संसार’ और ‘चारुलता’ जैसी क्लासिक फिल्मों के साथ बंगाली संस्कृति के साथ इन फिल्मों से इंडस्ट्री को नया नाम दिया जबकि प्रकाश झा ने ‘गंगाजल’, ‘अपहरण’ और ‘राजनीति’ जैसी फिल्मों के जरिए बिहार के सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को पकड़ने की कोशिश की है.
मनोज तिवारी का बड़ा सुझाव
मनोज तिवारी ने कहा, ‘जिस दिन भोजपुरी बेल्ट के फिल्म निर्माता बड़े पर्दे के लिए ‘मिर्ज़ापुर’ और ‘महारानी’ जैसी कहानियों को पेश करना शुरू कर देंगे, यह साउथ सिनेमा के साथ प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में हो जाएगा, जो इस समय अपने चरम पर है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिनेमा का समय आएगा.
‘मिर्ज़ापुर’ या ‘महारानी’ जैसी वेब सीरीज, ये कहानियां हमारे क्षेत्र की हैं, भोजपुरी सिनेमा की हैं. भोजपुरी मेकर्स इस तरह की कहानियों को नहीं उठा रहे हैं, लेकिन ऐसी फिल्में जिस दिन बनने लगी, तो वो दिन भी आएगा, जब साउथ सिनेमा को भोजपुरी इंडस्ट्री टक्कर देगी.
सिनेमाघरों में फिल्में देखने नहीं जा रहे दर्शक?
उन्होंने कहा कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री सालाना लगभग 60-70 फिल्मों का निर्माण करता है, उन्होंने कहा कि नाट्य प्रदर्शनी उद्योग आज अच्छी स्थिति में नहीं है. मनोज तिवारी ने कहा, ‘जब मैं फिल्में कर रहा था, तो कई बार ऐसा होता था जब 1.5 करोड़ रुपये के बजट वाली फिल्म बॉक्स ऑफिस पर लगभग 30-35 करोड़ रुपये कमाती थी. मेरी पहली फिल्म (ससुरा बड़ा पैसावाला) ने 56 करोड़ रुपये कमाए. आज लोग सिनेमाघरों में फिल्में देखने नहीं आ रहे हैं. इसका एक और कारण यह भी हो सकता है कि मालिकों को भी थिएटर व्यवसाय में कोई दिलचस्पी नहीं है. लेकिन, भोजपुरी सिनेमा दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.
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FIRST PUBLISHED : April 6, 2024, 10:49 IST