चीन और पाकिस्तान।
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चीन ने पाकिस्तान में अपनी प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों को भेजने का पूरा खाका तैयार कर लिया है। इसके लिए बाकायदा चीन ने अपनी पांच ग्लोबल प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी (पीएससी) पर भरोसा करने की तैयारी की है। इनमें से तीन कंपनियां तो ऐसी है, जो पहले से ही दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चीन के सबसे प्रमुख प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में सुरक्षा की जम्मेदारियां निभा रही हैं। रक्षा मामलों के जानकारों का मानना है कि बीते एक दशक से चीन अपनी प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों को अपरोक्ष रूप से खुफिया एजेंसी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान में अब अलग-अलग सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से बड़ी खुफिया निगरानी की तैयारी शुरू करने की बारी है। वहीं पाकिस्तान में मंगलवार को रावलपिंडी स्थित सेना मुख्यालय में इस मसले पर एक महत्वपूर्ण और गोपनीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें सेना के अधिकारियों को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पर खर्च हो रहे बजट और सैन्य कर्मियों की मौजूदगी का पूरा लेखा-जोखा पेश किया गया। फिलहाल पाकिस्तान में चीन की निजी सुरक्षा एजेंसियों की मौजूदगी पर खुफिया एजेंसियों की मजबूत निगाहें लगी हुईं हैं।
केंद्रीय खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, चीन ने जैसे ही अपनी पांच एजेंसियों में से तीन को चुनकर आगे की तैयारी शुरू की, तो पाकिस्तान की सरकार से लेकर सेना के भीतर हलचल मचनी शुरू हो गई। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय में मंगलवार को ईद की तैयारियों के बीच एक आपात बैठक भी बुलाई गई। इस बैठक में चीन के कर्मचारियों पर हो रहे हमले और उसके बाद चीन की बनाई गई रणनीति पर न सिर्फ चर्चा हुई, बल्कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पर पाकिस्तान की ओर से तैनात सुरक्षा कर्मियों के अलावा बजट को लेकर भी विस्तार से पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से जानकारी सेना के अधिकारियों को दी गई। केंद्रीय खुफिया एजेंसी से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान सेना के अधिकारियों को सेना और सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को साझा किया गया।
सीपीईसी की सुरक्षा के लिए 9000 जवान तैनात
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में बताया गया कि पाकिस्तान सरकार की ओर से तकरीबन 10 मिलियन यूरो तो सिर्फ तटीय सुरक्षा के लिए खर्च किए जा रहे हैं। जबकि चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के लिए बनाई गई पार्लियामेंट्री कमिटी की ओर से 9000 सेना के जवानों की एक विशेष टुकड़ी बनाई गई है। इसके अलावा 6000 से ज्यादा पैरामिलिट्री फोर्स के जवान भी इसी कॉरिडोर की सुरक्षा में लगे रहते हैं। खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में यह भी जिक्र किया गया कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार की ओर से 2600 से ज्यादा पुलिस अधिकारी इस प्रोजेक्ट की सुरक्षा में मुस्तैद रहते हैं। जबकि खैबर पख्तून राज्य की सरकार ने चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के लिए 4200 से ज्यादा पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की है। इसी प्रोजेक्ट के लिए पंजाब ने भी 10000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों की स्पेशल प्रोटक्शन यूनिट में तैनाती की है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान चीन के निजी सुरक्षा कंपनियों के खुलकर आने देने की हिमायत नहीं कर रहा है। यही वजह है कि वह चीन को समझाने के लिए चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) पर खर्च हो रहे बजट और सुरक्षा का पूरा लेखा-जोखा पेश करने की तैयारी कर रहा है। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों की मानें, तो ईद के बाद इस मामले में चीन से अगले दौर की वार्ता पाकिस्तान सरकार करने वाली है।
चीनी खुफिया एजेंसियों की पाकिस्तान में एंट्री
केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जिस तरीके से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से जुड़े चीनी कर्मचारियों पर लगातार हमले हो रहे हैं, उससे अब चीन की सरकार ने नई योजना बनाई है। वैसे चीन की इस योजना पर पाकिस्तान पूरी तरीके से सहमत तो नहीं है, लेकिन उसके पास और कोई विकल्प नहीं बच रहे हैं। दरअसल चीन, पाकिस्तान के भीतर अपनी तीन प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों में से एक का चयन कर यहां सुरक्षा की जिम्मेदारी देने की तैयारी कर रहा है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुतबिक चीन ने चीन सिक्योरिटी एंड प्रोटेक्शन ग्रुप, फ्रंटियर सर्विस ग्रुप समेत चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप को पाकिस्तान में सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारियां देने की तैयारी की है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक वैसे तो 2011 से दुनिया के अलग-अलग देश में काम कर रही ‘बीजिंग डे सिक्योरिटी सर्विस’ और 20 साल से चीनी प्रोजेक्ट के अलावा अलग-अलग एजेंसियों के लिए दुनिया के कई देशों में काम कर रही ‘हुआजिन सोंगन’ को भी पाकिस्तान में एंट्री की तैयारी में है।
सैन्य अड्डा स्थापित करना चाहता है चीन
रक्षा मामलों के जानकारों के मुतबिक चीन की यह पांचों प्रमुख कंपनियां दुनिया के अलग-अलग देशों में सुरक्षा मुहैया कराती हैं। लेकिन इसी सुरक्षा की आड़ में चीन दुनियाभर में अप्रत्यक्ष रूप से अपने सैनिक अड्डे भी इन्हीं सुरक्षा एजेंसियों की आड़ में तैयार कर रहा है। सेंटर फॉर साउथ एशिया और चीन स्टडी के प्रोफेसर एसपी नागपाल कहते हैं कि चीन की जो सुरक्षा नीतियां हैं, वह लगातार दुनिया के लिए बड़ी चुनौतियां पेश करती रही हैं। लेकिन बीजिंग ने जिस तरह से निजी सुरक्षा एजेंसियों की आड़ में अपने एजेंडे को आगे बढ़ाया है, वह और ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। हालांकि प्रोफेसर नागपाल कहते हैं कि चीन की यह शातिराना हरकत पहले से ही एक्सपोज हो चुकी है। बावजूद इसके वह दुनिया के कमजोर मुल्कों में अपनी इसी रणनीति से अपनी निजी सुरक्षा एजेंसियों को स्थापित करता आया है। पाकिस्तान में लगातार हो रहे चीनी कर्मचारियों के हमले को ढाल बनाकर चीन अब इस रणनीति को वहां पर भी लागू करने जा रहा है। प्रोफेसर नागपाल कहते हैं कि चीन ऐसा करके न सिर्फ उसे देश में अपना सैन्य अड्डा स्थापित करता है, बल्कि आसपास के मुल्कों में भी कड़ी निगरानी रखना शुरू कर देता है। क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों पड़ोसी मुल्क हैं। इसलिए चीन की इस रणनीति का भारत पर व्यापक असर पड़ सकता है।
भारत के लिए चिंता की बात
दिल्ली विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों में चीनी मामलों के जानकार डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह कहते हैं कि चीन शुरू से ही न सिर्फ अपनी सरकारी खुफिया एजेंसियों, बल्कि निजी सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से जासूसी करवाता रहा है। इसके अलावा इन सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से पड़ोसी देशों में अस्थिरता भी पैदा करता रहा है। डॉ. अभिषेक कहते हैं कि जिस तरीके से पाकिस्तान के भीतर लगातार बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट पर लगातार हमले हो रहे हैं, वह पाकिस्तान के भीतर लोगों की नाराजगी का परिणाम है। अपने लोगों पर हो रहे हमलों और मौतों को भी चीन एक अलग नजरिए से पेश कर रहा है। वह इस मामले के बाद वहां पर अपनी निजी सुरक्षा एजेंसियों के कर्मियों की संख्या को बढ़ाना चाह रहा है। डॉ. अभिषेक कहते हैं कि चीन के लिए यह कोई नई बात नहीं है। लेकिन हमारे देश के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में अगर चीन के निजी सुरक्षा एजेंसी मौजूद होगी, तो यह पाकिस्तान के लिए चिंता की बात हो या न हो, लेकिन हमारे लिए यह घटनाक्रम बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। उनका कहना है कि जिस तरीके की सूचनाओं आ रही हैं, उससे यह तो पता चला है कि पाकिस्तान में इसका विरोध हुआ है। लेकिन चीन उसे किस तरह लेता है यह देखने वाली बात होगी।