हुलास पाण्डेय
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बिहार के बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में 10 साल बाद 16 दिसंबर 2023 को सीबीआई ने आरा सिविल कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी। सीबीआई ने इस हत्याकांड हुलास पांडेय सहित 8 लोगों को आरोपी बनाया है। हुलास पांडेय को नामजद अभियुक्त बनाए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी काफी तेज हो गई थी। लेकिन, अब इस मामले में आरा की एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने सीबीआई की चार्जशीट को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड में पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय सहित अन्य आरोपितों को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हत्याकांड के आरोपित रितेश सिंह उर्फ मोनू सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआई की चार्जशीट खारिज किया है।
सीबीआई के अनुसंधान को गलत माना
जानकारी के अनुसार कोर्ट ने केस में ट्रायल शुरू होने के बाद बिना अदालत के आदेश के सीबीआई की ओर से अनुसंधान करने को गलत माना है। कोर्ट के इस फैसले से जहां पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय सहित अन्य आरोपितों को राहत मिली है, वहीं सीबीआई को बड़ा झटका लगा है। अब इस मामले में पूर्व से चल रहे ट्रायल के आधार पर आगामी 30 अप्रैल को सुनवाई होगी। इस बात की जानकारी एपीपी सियाराम सिंह की ओर से यह जानकारी दी गई।
2012 में ब्रह्मेश्वर मुखिया की हुई थी हत्या
मालूम हो कि, 1 जून, 2012 को आरा के नवादा थाना क्षेत्र के कतीरा मुहल्ला स्थित ब्रह्मेश्वर मुखिया के आवास से कुछ ही दूरी पर उनकी 6 गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड के बाद मुखिया समर्थकों में काफी आक्रोश भी भड़का था और आरा से लेकर पटना तक उनके शवयात्रा में शामिल समर्थकों ने प्रतिशोध की भावना से जगह-जगह हिंसा और आगजनी भी की थी। तत्कालीन सरकार ने इस बहुचर्चित हत्याकांड के एक साल यानी 2013 में निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को यह केस सौंपा था।
सीबीआई ने पोस्टर जारी कर 10 लाख रुपए इनाम देने की घोषणा की थी
ब्रह्मेश्वर मुखिया को मारी गई सभी गोलीयां देशी पिस्तौल से चलाई गई थी। उनकी हत्या से संबंधित एफआईआर आरा के नवादा थाने में दर्ज कराई गई थी। एफआईआर में आपराधिक षड्यंत्र और अन्य संगीन धाराएं लगाते हुए अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज कराया गया था। सीबीआई ने एक पोस्टर जारी कर ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड से जुड़े सुराग और जानकारी देने पर 10 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की थी।