मतदान (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : एएनआई (फाइल)
विस्तार
चक्रव्यूह के दूसरे द्वार पर सेनाएं अपना रणकौशल दिखा चुकीं। अपने सारे अस्त्र-शस्त्र आजमां चुकीं। इस दौर में धर्म, अर्थ और शिक्षा के केंद्रों में मतदाता प्रत्याशियों का इम्तिहान लेंगे। चुनावी प्रचार का शोर थम चुका है। अब असली इम्तिहान की बारी है। अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा के मतदाता शुक्रवार को चुनावी समर के योद्धाओं के भाग्य का फैसला लिखेंगे।
2019 की बात करें तो इन 8 सीटों में से सात पर भगवा परचम फहराया था। वहीं, अमरोहा में हाथी जीता था, जबकि चार सीटों पर बसपा दूसरे स्थान पर रही थी। यानी बसपा के लिए यहां अच्छा मौका है। बसपा से गठबंधन में सपा को एक सीट गाजियाबाद मिली थी। यहां वह दूसरे स्थान पर रही थी। दूसरे चरण में सबसे बड़ी परीक्षा भगवा ब्रिगेड की होनी है। वहीं, सपा-कांग्रेस गठबंधन के पास खोने के लिए कुछ नहीं, बल्कि पाने के लिए पूरा आसमां है।
मेरठ : राम का नाम और जातीय गोलबंदी की परीक्षा
भाजपा ने तीन बार से सांसद रहे राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर रामायण धारावाहिक में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। शुरुआत में राम के नाम पर वोट मांगने वाले अरुण गोविल को अंतिम समय जाति की दुहाई देनी पड़ी।
- सपा ने पहले दलित, फिर गुर्जर और फिर दलित समाज से ताल्लुक रखने वाली पूर्व महापौर सुनीता वर्मा को मैदान में उतार कर मुस्लिम-दलित का समीकरण बनाने की कोशिश की है।
- बसपा ने देवव्रत त्यागी को मैदान में उतारा है। देवव्रत परंपरागत वोटबैंक के साथ त्यागी समाज के मतदाताओं को साधने की कोशिश की है।
प्रमुख मुद्दे
- स्पोर्ट्स काॅम्प्लेक्स का विस्तार, गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग, मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना।
बागपत : चौधरी बनने के लिए दिलचस्प जंग
बागपत सीट पर करीब पांच दशक बाद पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के परिवार का कोई सदस्य मैदान में नहीं है। फिर भी परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां से गठबंधन के तहत रालोद से डाॅ. राजकुमार सांगवान मैदान में हैं। भाजपा के साथ ही रालोद ने अपने परंपरागत वोटबैंक को साधने की कोशिश की है।
- सपा ने पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा पर दांव लगाकर संघर्ष कांटे का कर दिया है। पार्टी के वोटर के साथ ही ब्राह्मणों को साधने की कोशिश।
- बसपा ने गुर्जर वोटबैंक को अपने पाले में लाने के लिए प्रवीण बैंसला को मैदान में उतारा है। बसपा के इस कदम ने जंग को रोचक बना दिया है।
प्रमुख मुद्दे
- गन्ना का बकाया भुगतान व मूल्य बढ़ाने की मांग, छुट्टा जानवर।
अमरोहा : मुसलमान तय करेंगे चुनाव परिणाम
बसपा से सांसद बने कुंवर दानिश अली अब कांग्रेस से मैदान में हैं। बसपा ने डॉ. मुजाहिद हुसैन को उम्मीदवार बनाया है, तो भाजपा ने पिछला चुनाव हारने वाले गुर्जर बिरादरी के पूर्व सांसद कंवर सिंह तंवर पर एक बार फिर दांव लगाया है। गुर्जर, जाट, सैनी सहित अन्य जातियों को लामबंद करने की कोशिश की है।
- दानिश अली इतिहास दोहराने की फिराक में हैं। सपा और कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक के साथ ही मुस्लिमों को साधनेे की कोशिश की है।
- मुजाहिद को बसपा के परंपरागत वोटबैंक और मुसलमान वोटों का सहारा। दानिश से नाराज लोगों को भी गोलबंद करने की कोशिश की है।
प्रमुख मुद्दे
- आम बागवानों को एक्सपोर्ट की सुविधा की दरकार, प्रदूषण, बंद मिलें।
गौतमबुद्धनगर : उलझे हैं जातीय समीकरण
भाजपा ने दो बार से सांसद ब्राह्मण बिरादरी के डाॅ. महेश शर्मा पर तीसरी बार दांव लगाया है। कुछ इलाके में क्षत्रिय समाज की नाराजगी सामने आई, तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने डैमेज कंट्रोल की पूरी कोशिश की।
- सपा ने गुर्जर समाज के डाॅ. महेंद्र नागर को उतारकर मुस्लिम वोटबैंक के साथ गुर्जरों की एकजुटता बढ़ा दी है।
- बसपा ने क्षत्रिय समाज के बुलंदशहर निवासी पूर्व विधायक राजेंद्र सोलंकी को मैदान में उतार कर समीकरणों को उलझा दिया है। बसपा प्रमुख मायावती खुद गुर्जर बहुल इलाके में जनसभा करके कह चुकी हैं कि भाजपा को रोकने के लिए क्षत्रिय उम्मीदवार उतारा है।
प्रमुख मुद्दे
- जमीन अधिग्रहण का मुआवजा मिलने में देरी, उद्योगों से निकलने वाले कचरे के लिए डंपिंग ग्राउंड।
बुलंदशहर : त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
भाजपा ने दो बार के सांसद भोला सिंह पर फिर दांव लगाया है। उन्हें भाजपा के परंपरागत वोटबैंक के साथ लोध बिरादरी का सहारा है। जबकि कांग्रेस ने शिवराम वाल्मिकी को मैदान में उतारा है। इस समीकरण से कांग्रेस अल्पसंख्यक और पिछड़ी जातियों के साथ ही दलित मतदाताओं में सेंधमारी की उम्मीद लगाए है। जबकि बसपा ने गिरीश चंद्र जाटव पर दांव लगाकर दलितों को अपने पाले में खींचने की कोशिश की है। ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है।
प्रमुख मुद्दे
- कई फैक्ट्रियों के बंद होने का मुद्दा, रेल मार्ग का सीधे जुड़ाव न होना, छुट्टा पशु।
अलीगढ : दिलचस्प होगी टक्कर
भाजपा ने दो बार से सांसद सतीश गौतम पर फिर दांव लगाया है। कई स्थानों पर पार्टी उम्मीदवार से नाराजगी सामने आने पर वरिष्ठ नेताओं ने डैमेज कंट्रोल किया। सपा ने कांग्रेस से आए जाट समाज के पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह पर दांव लगाकर जाट बिरादरी को जोड़ने का प्रयास किया है। मुस्लिमों की एकजुटता का सहारा है। बसपा ने ब्राह्मण समाज के हितेंद्र कुमार उपाध्याय को मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है। यहां कांटे की टक्कर है।
प्रमुख मुद्दे
- शहर की टूटी सड़कें, रोजगार के साधन न होना।
मथुरा : प्रवासी बनाम ब्रजवासी की परीक्षा
दो बार की सांसद हेमामालिनी पर भाजपा ने तीसरी बार भरोसा जताया है। रालोद के भाजपा के साथ आने से यहां जयंत चौधरी की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस ने मुकेश धनगर को उम्मीदवार बनाकर प्रवासी बनाम ब्रजवासी का नारा दिया है। वहीं, बसपा ने भारतीय राजस्व सेवा से 2004 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले जाट समाज के सुरेश सिंह को मैदान में उतारकर जाट वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है।
प्रमुख मुद्दे
- धर्म क्षेत्र के आसपास अतिक्रमण, पेयजल की समस्या, जाम की समस्या।
गाजियाबाद : बड़ा सवाल- क्या टूटेगा रिकॉर्ड
भाजपा ने दो बार के सांसद वीके सिंह का टिकट काटकर वैश्य समाज के अतुल गर्ग पर दांव लगाया है। वीके सिंह ने यहां रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने रोड शो कर, तो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसभा कर रिकॉर्ड बढ़ाने का आह्वान कर चुके हैं। कांग्रेस ने डॉली शर्मा को दोबारा मौका दिया है। उन्हें मुस्लिमों व ब्राह्मणों की एकजुटता की उम्मीद है। बसपा ने क्षत्रिय समाज के नंद किशोर पुंडीर पर दांव लगाकर चुनाव को रोचक बना दिया है।
प्रमुख मुद्दे
- शहर में जाम, प्रदूषण, रोजगार।