Electricity Crisis
– फोटो : Amar Ujala
विस्तार
देश के कई हिस्सों में इन दिनों भीषण गर्मी देखने को मिल रही है। ऐसे में अधिकांश राज्यों में बिजली की खपत बढ़ गई है। इससे आने वाले दिनों में बिजली कटौती की समस्या बढ़ सकती है। सरकारी सूत्रों का अनुमान है कि इस बार जून की तपती गर्मी में लोगों को ज्यादा परेशान झेलनी पड़ सकती है। जून में एक बार फिर बिजली संकट गहरा सकता है। इसकी वजह जलविद्युत उत्पादन में गिरावट और नए कोयला आधारित संयंत्रों के चालू होने में देरी है। इस बीच राज्यों को इस संकट से बचाने के लिए सरकार ने संबंधित अवधि में बिजली का उत्पादन बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि जून में बिजली की मांग को दिन और रात में पर्याप्त तरीके से पूरा कर लिया जाएगा।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि जलविद्युत उत्पादन में गिरावट के बाद भारत में जून में बिजली की कमी का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि इस दिक्कत से निकलने के लिए नियोजित संयंत्र रखरखाव को स्थगित करके और बंद पड़े यूनिट को फिर से चलाने की कोशिश शुरू हो गई है। यह बिजली संकट 3.6 गीगावाट के नए कोयला आधारित संयंत्रों के चालू होने में देरी के कारण हो रहा है। इन्हें मार्च से पहले चालू करने का लक्ष्य रखा गया था। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मुताबिक जून में रात के समय 14 गीगावॉट तक की बड़ी कमी हो सकती है, क्योंकि उस समय सौर क्षमता उपलब्ध नहीं होती है।
इस बीच उत्पादन को बढ़ाने पर फोकस शुरू कर दिया है। ऐसे में उम्मीद है कि जून समेत आने वाले महीनों में बिजली की मांग पर्याप्त रूप से पूरी की जाएगी। ग्रिड-इंडिया ने जून में रात के समय अधिकतम 235 गीगावॉट की मांग का अनुमान लगाया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, आपूर्ति पक्ष पर लगभग 187 गीगावॉट तापीय क्षमता उपलब्ध है और लगभग 34 गीगावॉट नवीकरणीय स्रोतों से उपलब्ध है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च को समाप्त वर्ष में भारत का जलविद्युत उत्पादन चार दशकों में सबसे तेज गति से गिर गया। जबकि नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन स्थिर रहा है। यह अंतर 2009-10 के बाद से सबसे बड़ा है। इसी को लेकर पिछले हफ्ते एक अहम बैठक हुई थी। इसमें जून के दौरान नियोजित रखरखाव के लिए बिजली संयंत्रों को बंद करने और पांच गीगावॉट निष्क्रिय कोयला संयंत्र क्षमता को दोबारा चालू करने का फैसला किया गया है।