विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (वीडियो)
– फोटो : एएनआई
विस्तार
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने चाबहार बंदरगाह से लेकर निज्जर हत्याकांड में हो रही भारतीयों की गिरफ्तारी और पीओके में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर प्रतिक्रिया दी है। साप्ताहिक ब्रीफिंग में ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह समझौते पर अमेरिका की प्रतिबंध की धमकियों का जवाब देते हुए भारत ने कहा है कि इसे संकीर्ण नजरिये नहीं देखा जाए। इसका फायदा अफगानिस्तान सहित मध्य एशिया के जमीन से घिरे (लैंडलॉक्ड) देशों को होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, भारत इस बंदरगाह का संचालन 2018 से कर रहा है। इस बंदरगाह की वजह से ही भारत जरूरत के वक्त अफगानिस्तान को 85,000 टन गेहूं, 200 टन दाल और 40,000 लीटर कीटनाशक की मानवीय मदद भेज पाया। इसके अलावा कोविड माहामारी के दौर में वैक्सीन मैत्री के तहत जरूरतमंद देशों को भी इस बंदरगाह के जरिये मदद पहुंचाई गई।
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान को निरंतर मानवीय आपूर्ति और आर्थिक विकल्प प्रदान करने के लिए चाबहार बंदरगाह का संचालन भारत के हाथ में होने के महत्व को समझा है। लिहाजा, इस संबंध में विदेश मंत्री एस जयशंकर की बात को ही दोहराना पर्याप्त होगा कि इस मसले को संकीर्ण नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से ईरान के साथ समझौते को लेकर प्रतिबंध की धमकी को लेकर जयशंकर ने कहा था कि चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत और ईरान के बीच समझौते को संकीर्ण दृष्टिकोण से नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि इस परियोजना से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा।
आगे उन्होंने पीओके में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर भी प्रतिक्रिया दी। रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने रिपोर्ट देखी है कि पिछले कुछ दिनों में वहां विरोध प्रदर्शन हुआ और उसमें कुछ लोग हताहत हुए। वहां जिस प्रकार की नीतियां चल रही हैं, संसाधनों को जिस प्रकार से लूटा जा रहा है। यह विरोध उसका परिणाम है। जहां तक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की बात है, तो वह और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू, लद्दाख, कश्मीर भारत के अभिन्न अंग हैं और हमेशा रहेंगे।