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आईएमएस बीएचयू में कोवैक्सीन से दुष्प्रभाव वाले शोध की जांच में हर दिन नया-नया मामला सामने आता जा रहा है। शोध रिपोर्ट में तथ्यों की कमी, डेटा फोन पर जुटाना उसका किसी विशेषज्ञ से सत्यापन न कराने के बाद अब मामला स्वीकृति का है। जीरियाट्रिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसएस चक्रवर्ती, फार्माकोलॉजी विभाग की डॉ. उपिंदर कौर के शोध पर आईएमएस की एथिकल कमेटी ने भी स्वीकृति दी थी।
संस्थान के स्तर पर आईएमएस के डीन रिसर्च प्रो. गोपाल नाथ की अध्यक्षता में गठित कमेटी मामले की जांच में जुटी है और शोध रिपोर्ट से जुड़े हर एक तथ्यों की बारीकी से पड़ताल करवाई जा रही है। खास बात यह है कि जैसे-जैसे जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ती जा रही है, इस शोध कार्य की कमियां भी उतनी ही उजागर होती जा रही हैं।
प्रोफेसर ने अपनी रिपोर्ट के एथिकल स्टेटमेंट में इस बात का जिक्र किया है कि उन्होंने आईएमएस की एथिकल कमेटी की स्वीकृति के बाद ही शोध कार्य किया। अब सवाल यह है कि जिस शोध रिपोर्ट के सामने आने के बाद एक के बाद एक सवाल खड़े होते जा रहे हैं, उसको करने के लिए तत्कालीन एथिकल कमेटी ने अपनी स्वीकृति कैसे दी। नियमानुसार शोध करने से पहले उसकी विस्तृत कार्ययोजना को कमेटी के सामने रखना होता है।