Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडी), पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) और दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) द्वारा 1957 और 2006 के बीच किए गए भूमि अधिग्रहण को बरकरार रखा है। बता दें कि डीडीए, डीएसआईआईडी, ईडीएमसी और डीएमआरसी ने अलग अलग परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहित की थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश रद्द
दिल्ली सरकार ने राजधानी क्षेत्र में अलग अलग विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू की थी। इसके बाद राज्य इकाइयों जैसे डीडीए, डीएसआईआईडी, ईडीएमसी और डीएमआरसी ने अलग अलग विकास कार्यों के लिए जमीन दी गई थी। शीर्ष अदालत ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि 1957 से 2006 तक एक लंब समय बीत चुका है।
सैकड़ों लोगों द्वारा दायर की गई एक याचिका पर न्यायमूर्ति सूर्य कांत, दीपाकंर दत्ता और उज्जवल भुईंया की पीठ ने 17 मई को एक आदेश पारित किया था। आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द किया गया था। दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को समाप्त घोषित किया था।
अदालत ने अधिग्रहण जारी रखने की अनुमति दी
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि सभी अपीलों को देखते हुए अधिग्रहण जारी रखने की अनुमति दी जाती है और उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द किया जाता है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इस तर्क को स्वीकार किया कि उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दी गईं तो जनहित में बाधा आएगी।