– फोटो : amar ujala
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वोटिंग खत्म होने के बाद अब सभी की निगाहें चार जून को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं। ऐसे में हाईप्रोफाइल सीट अमेठी के नतीजे क्या होंगे, राजतिलक किसके माथे पर लगेगा.. यह तो नतीजे आने के बाद तय होगा लेकिन, सोशल मीडिया पर नतीजों को लेकर खूब बहस चल रही है। फेसबुक और एक्स पर अपने पक्ष में दावे कर रहे भाजपा व कांग्रेस समर्थकों के अपने-अपने तर्क हैं।
वैसे अमेठी संसदीय सीट से भाजपा से एक बार फिर स्मृति जूबिन इरानी मैदान में है, जबकि कांग्रेस से पहली बार चुनाव लड़ रहे गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा है। यह बात अलग है कि बसपा के नन्हे सिंह चौहान समेत कुल 13 प्रत्याशी मैदान में है लेकिन, सबसे ज्यादा चर्चा भाजपा व कांग्रेस को लेकर है। वजह भी खास है।
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वर्ष 2014 में पहली बार अमेठी पहुंची भाजपा की स्मृ़ति जूबिन इरानी ने कांग्रेस के राहुल गांधी के सामने चुनाव लड़ा। इस चुनाव में शिकस्त के बाद भी उन्होंने अमेठी को नहीं छोड़ा। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा की स्मृति जूबिन इरानी ने कांग्रेस के राहुल गांधी को हरा दिया था। 2024 के चुनाव में वैसे अमेठी के कांग्रेसियों की दिली इच्छा थी कि राहुल गांधी यहां से चुनाव लड़े लेकिन, नामांकन के अंतिम दिन गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को कांग्रेस ने भाजपा की स्मृति जूबिन इरानी के सामने चुनावी समर में उतारकर मुकाबला रोचक बना दिया।
किशोरी लाल शर्मा वर्ष 1983 से गांधी परिवार के करीबी रहे हैं। राजीव गांधी, साेनिया गांधी व राहुल गांधी का चुनाव प्रबंधन वह संभाल चुके हैं। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों दलों ने एक दूसरे पर सीधा हमला बोला था। अब मतदान के बाद परिणाम को लेकर सियासी बहस का दौर चल रहा है। नेता और समर्थक ही नहीं आम जनता भी सोशल मीडिया पर खासी सक्रिय है।
आईटी सेल की नजर
– भाजपा व कांग्रेस के आईटी सेल सोशल मीडिया पर नजर रख रहा है। हरेक मूवमेंट के साथ ही उस पर किए जाने वाले पोस्ट की भी मानीटरिंग की जा रही है। यही नहीं, इसका जवाब भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से दिया जा रहा है। मसलन, दोनों दलों ने पाजिटिव व निगेटिव दोनों तरह के पदाधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी है।
अब तक दर्ज हो चुकी है तीन प्राथमिकी
– सोशल मीडिया पर टिप्पणी कई लोगों के गले की फांस भी बन गई है। मतदान समाप्त होने के बाद सोशल मीडिया पर टिप्पणी के मामले में अब तक तीन मुकदमे दर्ज कराए जा चुके हैं। इसकी जांच पुलिस कर रही है।
फर्स्ट डिवीजन पास नहीं हो पाए अमेठीवासी
– अमेठी में इस बार मतदान प्रतिशत सिर्फ 54.34 फीसदी ही रहा। मतदान प्रतिशत न बढ़ने को कोई फायदा बता रहा है तो कोई नुकसान। यही नहीं, कुछ लोग मतदाताओं की अरुचि की अलग व्याख्या कर रहे हैं। वैसे, सियासी रणनीतिकार एक अलग तर्क देते हैं कि बताते हैं कि अमेठी के संसदीय चुनाव के इतिहास में यह कोई पहला मौका नहीं है, जब मतदान में अमेठी के लोग फर्स्ट डिवीजन आने से चूक गए हों। फिलहाल, मतदान के बाद अब सोशल मीडिया पर परिणाम को लेकर बहस चल रही है।
भाजपा व कांग्रेस समर्थक अपने-अपने दलों के दावे कर रहे हैं। जीत का दम भर रहे हैं, राजतिलक की तैयारी कर रहे हैं लेकिन, इन सबके बीच युवा व महिलाएं भी सोशल मीडिया पर अपने मन की बात लिखने से संकोच नहीं कर रही है। यह बात अलग है कि वह किसी का नाम नहीं ले रहीं हैं लेकिन, इशारों-इशारों में सब कुछ कहने का प्रयास हो रहा है। ऐसे में कांटे की टक्कर वाले इस तरह के पोस्ट पर खूब कमेंट हो रहे हैं। कोई पक्ष में तो कोई विपक्ष में अपनी बात रख रहा है। फिलहाल, सभी की नजरें चुनाव परिणाम पर टिकी हुई है।