अभिनेता अनुपम खेर अपनी तरह के अलग ही अभिनेता हैं। वह समय की धारा को समझने वाले इंसान है। उनकी पहली फिल्म ‘सारांश’ की रिलीज के 40 साल पूरे हुए ही हैं। और, अब भी वह आगे कुछ न कुछ नया करने की फिराक में व्यस्त रहते हैं। फिल्म ‘छोटा भीम एंड द कर्स ऑफ दमयान’ में वह छोटा भीम के गुरु शंभू के किरदार में दिखेंगे। इसकी सीक्वल का विचार भी वह फिल्म के निर्देशक राजीव चिलका को दे चुके हैं। वीडियो इंटरव्यू कार्यक्रम ‘शुक्ल पक्ष’ के लिए ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने अनुपम खेर, यज्ञ भसीन और निर्देशक राजीव चिलका से एक खास मुलाकात की। इंटरव्यू आप रविवार सुबह नौ अमर उजाला के फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल बजे देख सकेंगे। प्रस्तुत हैं इस इंटरव्यू के दौरान अनुपम खेर से हुए सवाल-जवाब..
अनुपम जी, आपकी पहली फिल्म ‘सारांश’ की रिलीज से लेकर अब तक आपके उत्साह और ऊर्जा में जो जोश दिखता है, उसका राज क्या है।
मैं अपने को बहुत ही भाग्यशाली समझता हूं। मुंबई में मनोरंजन उद्योग में काम करने के लिए हर रोज सैकड़ों लोग आते हैं और .0001 प्रतिशत लोगों को काम मिलता है। प्रभु की कृपा मुझ पर रही है कि मैं पिछले 40 साल से काम कर रहा हूं। इसलिए हमेशा प्रभु का शुक्रिया अदा करता रहता हूं। मेरे पास दुखी होने का और कोई कारण है नहीं। जो मैं करना चाहता था बचपन से उसी में मुझे काम लगातार मिल रहा है। और, सड़क पर चलने से लेकर अब मेरे पास गाड़ी भी है, रहने को जगह भी है। यज्ञ भसीन (फिल्म ‘छोटा भीम एंड द कर्स ऑफ दमयान’ के छोटा भीम) जैसे उभरते कलाकार के साथ काम करने का भी मौका मिल रहा है। लोग शिकायत करने को अपनी आदत बना लेते हैं। मैंने खुश रहने को अपना शौक बनाया हुआ है।
आपने तमाम विदेशी फिल्मों में काम किया है और पहली बार देश में किसी एनीमेशन सीरीज के किरदार पर बनी लाइव एक्शन फिल्म रिलीज हो रही है..
…और, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बन रही है। मैं बहुत गर्वित महसूस कर रहा हूं कि हमारे देश में एक ऐसे निर्माता, निर्देशक राजीव चिलका हैं, जिन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की फिल्म बनाई है। वीएफएक्स की, एनीमेशन की ये एक ऐसी कोशिश की है जो विश्व के किसी भी सिनेमा के स्तर का हो सकता है। कोई भारत को जब इस तरह से आगे ले जाता है तो मुझे बहुत गर्व महसूस होता है। इस फिल्म के बाद ऐसी बहुत फिल्में बनेंगी। बाहर की जितनी भी फिल्में हैं, उनका वीएफएक्स जो है, आप यकीन नहीं करेंगे उसमें से 50 फीसदी का वीएफएक्स और एनीमेशन भारत में ही होता है। और, अफसोस की बात है कि भारत में ही वीएफएक्स को लेकर इतनी अच्छी फिल्म नहीं बन पाती है। इस फिल्म में मुझे काम करने का मौका मिला। यंग लोगों के साथ काम करने का मौका मिला, इससे मुझे अपने जिंदा होने का अहसास भी हुआ।
आपके वीडियो जो मैं देखता हूं आपकी मां के साथ, वे एक बहुत अच्छा संदेश है। आपको लगता है कि सोशल मीडिया का उपयोग इसी तरह की सकारात्मकता के प्रचार का होना चाहिए?
हां, बिल्कुल इसी तरह होना चाहिए। जब आपको भगवान कुछ बनाता है तो आपकी एक जिम्मेदारी बनती है कि आप समाज में जागरूकता बढ़ाइए। जैसे कि स्पाइडरमैन की लाइन है, बड़ी शक्तियों के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है, ऐसे ही शुरू किया था मैंने। अब मुझे काफी लोग मिलते हैं जो कहते हैं कि हम भी अपनी माताजी की तरफ ध्यान देने लगे हैं। मां-बाप जब बूढ़े होने लगते हैं या बुजुर्ग होने लगते हैं तो हमें लगता है कि इनकी इच्छाएं खत्म होने लगी हैं। पर मेरे लिए आवश्यक ये है कि उनको सुनना बहुत जरूरी है। उनका जो अनुभव है, उसका बहुत फायदा उठा सकते हैं हम लोग।
समाज को प्रभावित करने वाले किरदारों को स्वीकार करते समय कितना सतर्क रहते हैं आप?
कुछ किरदार ऐसे होते हैं जो दुनिया को प्रभावित करते हैं, लोगों पर नई छाप छोड़ते हैं। 90 फीसदी जो हमारा जीवन है वह एकरस ही रहता है, बाकी 10 फीसदी जीवन ही रोमांच है। फिल्म ‘छोटा भीम एंड द कर्स ऑफ दमयान’ का हिस्सा होना जरूरी है। इस पिक्चर को मेरी जरूरत थी, क्योंकि मैंने इतना काम किया है। यज्ञ की कास्टिंग करना बहुत मुश्किल है। बहुत सारे लोगों का ऑडिशन हुआ पर जब मेरा फोटो पोस्टर पर लग जाता है तो पता चल जाता है कि ये अनुपम खेर हैं, इन्होंने इसके पहले 400-500 फिल्में की हैं। जैसे, सुपरमैन के पिता के रोल के लिए उन्होंने बड़ी कोशिश की कि किसको लें, तो फाइनली ये तय हुआ कि सुपरमैन के पिता के रोल के लिए मार्लन ब्रांडो को ही लेना पड़ेगा। मार्लन ब्रांडो ने तीन दिन के काम के लिए कुछ इतने पैसे मांगे थे.., (फिर हंसते हुए) मैंने तो ऐसा नहीं किया।