एनएसएसओ का सर्वेक्षण
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राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) ने घरेलू उपभोग व्यय पर सर्वेक्षण किया है। इसके अनुसार उपभोक्ताओं द्वारा खर्च करने के पैटर्न में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खाने-पीने पर खर्च में काफी गिरावट आई है।
सर्वेक्षण की खास बातें
2022-23 में प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग खर्च (एमपीसीई) में खाद्य पदार्थों का योगदान ग्रामीण क्षेत्रों में 46 प्रतिशत हो गया है। 2011-12 के दौरान यह 53 प्रतिशत था। उधर शहरी क्षेत्रों में एमपीसीई में खाद्य पदार्थों का योगदान घटकर 39 प्रतिशत हो गया है। 2011-12 के यह 43 प्रतिशत था।
इसी तरह, 2022-23 में एमपीसीई में गैर-खाद्य वस्तुओं की खपत ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़कर 54 प्रतिशत हो गई है। 2011-12 के दौरान यह 47 प्रतिशत था। उधर शहरी क्षेत्रों में भी एमपीसीई में गैर-खाद्य वस्तुओं की खपत बढ़कर 61 प्रतिशत हो गई है। 2011-12 के दौरान यह 57 प्रतिशत थी।
अंडे, मछली और प्रसंस्कृत भोजन की खपत बढ़ी
2011-12 से 2022-23 तक ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में दूध, दूध उत्पाद, फल, अंडे, मछली और मांस, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत भोजन (Processed Food), परिवहन और टिकाऊ वस्तुओं की खपत में वृद्धि हुई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक उपभोग खर्च 164 फीसदी बढ़ा
एनएसएसओ के सर्वेक्षण के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 2022-23 में एमपीसीई 3773 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 6459 रुपये हो गया है। 2011-12 के मुकाबले अब ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च 164 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 146 प्रतिशत बढ़ गया है।