पैसा।
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डाक विभाग की बचत योजनाओं के नाम पर दारागंज डाकघर के एजेंट ने करीब छह करोड़ रुपये का गबन किया है। यह खेल पिछले 10 वर्ष से चल रहा था। उसने अपनी बहन के साथ मिलकर पैसे हड़पे। दो महीने पहले उसका निधन हो गया तो मामला प्रकाश में आया। करीब 40 लोगों ने इसकी शिकायत डाक विभाग में की तो निदेशक ने जांच के लिए सात सहायक डाक अधीक्षकों (एएसपी) की टीम बना दी।
दारागंज के रहने वाले वीपी श्रीवास्तव डाकघर के एजेंट थे। क्षेत्र में उनकी अच्छी साख थी। दारागंज और आसपास के कई मोहल्लों के हजारों लोगों के उन्होंने डाकघर में खाता खुलवाया। डाकघर की योजनाओं का लाभ दिलवाया। उनके प्रति लोगों का भरोसा ऐसा था कि लाखों रुपये देते और डाकघर पूछने भी नहीं जाते थे। वह पैसा, पासबुक आदि घर दे जाते थे।
2012-13 में उनका निधन हो गया। उसके बाद उनका बेटा निखिल श्रीवास्तव एजेंसी चलाने लगा। पिता की साख पर लोगों ने निखिल पर भरोसा किया, लेकिन वह धोखेबाज निकला। वह किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र, मंथली इनकम स्कीम आदि योजनाओं के नाम पर लोगों से पैसे लेता और डाकघर में जमा नहीं करता। लोगों को फर्जी पासबुक और अकाउंट नंबर दे दिया।