जम्मू-कश्मीर में 29 जून से अमरनाथ यात्रा प्रारंभ हो रही है। इस बार भी अमरनाथ यात्रा पर पाकिस्तान के दहशतगर्दों की बुरी नजर है। खुफिया इकाई को जो अलर्ट मिल रहे हैं, उनके मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 56 पाकिस्तानी दहशतगर्द छिपे हैं। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के बड़े आतंकी संगठनों के जम्मू-कश्मीर में मौजूद ‘मुखौटे’ समूहों के 32 लोकल आतंकी भी सक्रिय हैं। इन आतंकियों के पास छोटी मिसाइल सहित चार तरह के हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल ये दहशतगर्द अमरनाथ यात्रा पर हमले के लिए कर सकते हैं। इनमें छोटी मिसाइल यानी हैंड ग्रेनेड के अलावा, आईईडी, चिपकने वाला बम और ड्रोन शामिल हैं। सुरक्षा बलों ने भी यात्रियों को अचूक सुरक्षा प्रदान करने का इंतजाम किया है। यात्रा रूट पर एक हजार मीटर लंबा बुलेटप्रूफ घेरा तैयार किया गया है। इस घेरे में ड्रोन हमला या एंबुश, दहशतगर्दों की ऐसी संभावनाओं को खत्म करने पर जोर रहेगा।
केंद्रीय एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा को लेकर हर तरह की एडवाइजरी जारी कर दी गई है। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय में इस बाबत उच्चस्तरीय बैठक आयोजित हुई थी। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव, सूचना ब्यूरो के निदेशक, सेना प्रमुख, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक, सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक, जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव एवं जेएंडके प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह ने अमरनाथ यात्रा को लेकर पुख्ता सुरक्षा इंतजाम करने का आदेश दिया है।
अमरनाथ यात्रा रूट पर जो विशेष शिविर तैयार किए गए हैं, उनकी दूरी घटाई गई है। यात्रा मार्ग पर रोड ओपनिंग पार्टी की संख्या बढ़ा दी गई है। यात्रा बेस कैंप की सुरक्षा, जो पहले एसएसपी रैंक के अधिकारी संभालते थे, अब वह दायित्व आईजी स्तर के अधिकारी को सौंपा गया है। फील्ड ड्यूटी में यह परिवर्तन, केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर हुआ है। एसपी रैंक से ऊपर के अधिकारी सुरजीत कुमार को पहलगाम कैंप और जेकेपी के आईजी एमएन तिवारी को नुनवन कैंप का सिक्योरिटी हेड बनाया गया है। इस कैंप पर आतंकियों की बुरी नजर रहती है। साल 1996 और 2002 में इस कैंप पर आतंकी हमला हो चुका है। इन हमलों में 40 से ज्यादा यात्री मारे गए थे।
एक विशेष दस्ते का गठन
जम्मू कश्मीर पुलिस की इंटेलिजेंस विंग और सुरक्षाबलों की मदद से ओवर ग्राउंड वर्कर की सक्रियता का पता लगाने के लिए एक विशेष दस्ते का गठन किया गया है। ये ओवर ग्राउंड वर्कर, आतंकियों को जरुरी सूचनाएं एवं ट्रांसपोर्ट की सुविधा मुहैया कराते हैं। सूत्रों ने बताया, पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के जम्मू कश्मीर में मौजूद मुखौटे आतंकी संगठन जैसे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) और पीएएफएफ की गतिविधियों पर खास नजर रखी जा रही है। ये आतंकी संगठन, ओवर ग्राउंड वर्कर की मदद से हमले को अंजाम देते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी सूरत में आतंकियों की बुरी नजर ‘अमरनाथ यात्रा’ पर न पड़े। यात्रा के लिए वाहन, ठहराव शिविर, रास्ते में लैंड स्लाइडिंग से मार्ग बाधित होना और आतंकियों से यात्रा की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। यात्रियों को कैंप तक सुरक्षित ले जाने के लिए टनल और ओवरहेड ब्रिज सुविधाएं, आदि मुहैया कराई जाएंगी। पड़ोसी मुल्क ‘पाकिस्तान’ के आतंकी संगठन, अमरनाथ यात्रा में बाधा डालने का दुस्साहस कर सकते हैं।
दहशतगर्दों के चार ‘हथियार’ बड़ी चुनौती
फिलहाल सुरक्षा एजेंसियों को जो इंटेलिजेंस इनपुट मिल रहे हैं, उनमें दहशतगर्दों के चार ‘हथियार’ बड़ी चुनौती के तौर पर सामने आए हैं। ये हैं, हैंड ग्रेनेड, चिपकने वाला बम, आईईडी और ड्रोन हमला। यात्रा मार्ग पर सुरक्षा बलों के वाहनों के अलावा यात्रियों के वाहनों पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए मानव इंटेलिजेंस, सीसीटीवी और ड्रोन कैमरों की मदद ली जाएगी। चिपकने वाले बम और आईईडी को लेकर सुरक्षा बल पूरी तरह सतर्क हैं। एक हजार मीटर के एक घेरे पर कोई भी आतंकी बुरी नजर नहीं डाल सकेगा। इसके लिए प्रमुख जिम्मेदारी सीआरपीएफ को सौंपी गई है। उक्त दूरी के बाद सीआरपीएफ का दूसरा दस्ता दिखाई पड़ेगा। यानी हर एक हजार मीटर पर सीआरपीएफ के जांबाजों ने सुरक्षा घेरा तैयार किया है। सुरक्षा बलों का प्रयास रहेगा कि दहशतगर्दों को उनके चारों हथियार चलाने का मौका ही न दिया जाए।
‘आईईडी’ और ‘ड्रोन’ हमले कर सकते हैं आतंकी
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, हमें यह मालूम है कि आतंकी संगठनों का ‘आईईडी’ और ‘ड्रोन’ हमले पर ज्यादा जोर है। वे यात्रा मार्ग पर हैंड ग्रेनेड यानी छोटी मिसाइल छोड़ सकते हैं। अब यात्रा मार्ग और उसके आसपास सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के चलते आतंकियों के लिए सीधे तौर पर फायरिंग करना संभव नहीं है, इसलिए वे आईईडी, ड्रोन और वाहनों पर चिपकने वाले बम का इस्तेमाल करने की फिराक में हैं। वाहनों पर चिपकने वाले बम का इस्तेमाल दो तीन वर्ष पहले ही शुरू हुआ है। सुरक्षाबलों ने आतंकियों और उनके ‘अंडर ग्राउंड वर्कर’ को उनके ठिकानों पर ही दबोचने की रणनीति बनाई है।
अमरनाथ यात्रा को बाधित करने की नापाक योजना के तहत पाकिस्तान के आतंकी संगठन, आईईडी व ड्रोन से हमला कर सकते हैं। इसके लिए घाटी में मौजूद ओवर ग्राउंड वर्कर को सक्रिय किया गया है। सुरक्षा बलों ने चिपकने वाले बम से रसद वाहनों को बचाने का प्लान बनाया है। अमरनाथ यात्रा के दौरान टारगेट किलिंग को रोकना सुरक्षा बलों की प्राथमिकता रहेगी। रसद सामग्री वाले स्थानों पर ड्रोन के जरिए नजर रखी जाएगी।
यात्रियों के शिविरों पर हमला न हो, इसके लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा रहेगा। यात्रा में शामिल वाहनों को ऐसे स्कैनर से गुजारा जाए, जहां पर किसी भी संदिग्ध वस्तु की पहचान की जा सकती है। आईईडी का पता लगाने के लिए सुरक्षा बलों की कई टीमों का गठन किया गया है। उपकरणों के अलावा खोजी कुत्ते भी इस काम में सुरक्षा बलों की मदद करेंगे। ड्रोन को मार गिराने के लिए सुरक्षा बलों के शूटर तैनात होंगे। आईईडी का पता लगाने के लिए अनेक जगहों पर तकनीकी उपकरण लगाए जा रहे हैं।