नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा को बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है. इस नाम को भले हॉलीवुड के तर्ज पर लिया गया है, लेकिन इस इंडस्ट्री ने ऐसी-ऐसी फिल्में दी, जिन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी अपने गानें और कहानियों से लोगों के दिलों पर राज किया. काल्पनिक घटनाओं के साथ सच्ची घटनाओं पर भी कई फिल्में बनी हैं, जिसमें ‘सुपर 30′, ’12वीं फेल’, ‘केसरी’, ‘पैडमैन’, ‘द रेलवे मैन’ जैसी कई फिल्में हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग में हुए हादसे के बाद बाबा और आश्रम जैसे शब्द ट्रेंड कर रहे हैं. ‘पाखंडी बाबा’ पर ओटीटी पर सीरीज आई थी, जिसको लेकर खूब हंगामा मचा था. हंगामा तो मचा सो मचा, लेकिन इससे एक्टर को खोया हुआ स्टारडम रातोंरात मिल गया था. क्या आपको याद है वो सीरीज…
ये सीरीज और कोई नहीं जपनाम वाले बाबा निराला की कहानी थी, जी हां बात कर रहे हैं वेब सीरीज आश्रम की. निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा ने अपनी पहली वेब सीरीज ‘आश्रम’ के साथ धर्म की आड़ में चलने वाले अनेक गोरखधंधों की परतें उघाड़ी है. पिछले कुछ बरसों में जेल गए कई ढोंगी, पाखंडी, लुटेरे, बलात्कारी और हत्यारे बाबाओं की करतूतें बताई, जिसके पहले सफल सीजन के बाद अब 4 दिसंबर को इसकी चौथा सीजन आने वाला है.
क्या है आश्रम की कहानी
धर्म का धंधा करने वाले कभी टॉर्च की रोशनी भक्तों की आंखों में झोंक कर उनकी पॉकेट मारा करते थे, मगर अब वह हैलोजन लाइट से उन्हें नहलाते हैं और 360 डिग्री एंगिल में अपना बिजनेस फैलाते हैं. सिर्फ समाज के पिछड़े, गरीब, दुखियारे ही इन धंधेबाजों से गंडा नहीं बंधवाते बल्कि बड़े रईस, व्यापारी, उद्योगपति और राजनेता भी उनकी शरण में जाते हैं. इन रसूखदारों के धर्म की छतरी के नीचे आने से यह धंधा अब बड़ा गोरखधंधा बन चुका है. आश्रम की कहानी में ऐसे कई अंश हैं, जो हमारे देश में फैले बाबाओं के प्रभाव, उनके मकड़जाल और उनकी काली करतूतों के साथ राजनीति में की जा रही गंदगी का कच्चा चिट्ठा बयान करते हैं.
पहले दो सीजन में क्या था?
सीजन 1 और 2 में एक लड़की पम्मी (अदिति पोहनकर) जो कि एक छोटी जाति की पहलवान है, बाबा उसको अपने तारणहार लगते हैं. पम्मी और उसका भाई, माता-पिता से झगड़ कर भी बाबा के आश्रम में सेवादार हो जाते हैं. सब ठीक चलता है जब तक बाबा, पम्मी को अपनी वासना का शिकार नहीं बना लेते और पम्मी उन्हें बर्बाद करने का निर्णय नहीं ले लेती. पम्मी आश्रम से भाग जाती है.
4 दिसंबर को इसका चौथा सीजन आने वाला है.
मैकेनिक से बड़े इतने बड़े महान बाबा
तीसरा सीजन का नाम दिया गया ‘एक बदनाम आश्रम’. ये सीजन सिर्फ पम्मी के छुपने और बाबा के गुंडों और पुलिस द्वारा उन्हें ढूंढने पर केंद्रित है. बीच-बीच में इस पकड़मपाटी के खेल से मुक्ति दिलाने के लिए ईशा गुप्ता के साथ एक उत्तेजक गीत भी रखा गया है, एक बड़े ड्रग कार्टेल की स्थापना भी हो रही है, बाबा के चेले रॉकस्टार टिंका सिंह के मंत्री बनने की कहानी के साथ-साथ, बाबा की जिन्दगी के शुरुआती दिनों के किस्से भी हैं, जिसमें बाबा कैसे एक आम मैकेनिक से इतने बड़े महान बाबा बन गए.
‘आश्रम’ से बॉबी देओल का स्टारडम लौटा था.
बॉबी देओल को वापस मिला स्टारडम
‘आश्रम’ में बॉबी देओल लीड रोल में नजर आ रहे हैं. इसको देखने के बाद शायद आपको बॉबी देओल के किरदार से नफरत हो जाए, लेकिन ये सीरीज उनके लिए किसी करिश्में से कम नहीं है. एक्टर के पास जब कोई फिल्म नहीं थी, तब उन्होंने बड़ा पर्दा छोड़, ओटीटी का रुख किया और ये फैसला उनके करियर के लिए हिट साबित हुआ. उनका खोया हुआ स्टारडम इसी नेगिटिव किरदार ने दिया उन्हें वापस दिलाया, जिसके बाद फिल्मी दुनिया में उनकी वापसी आसानी से हो गई.
सीरीज के लेकर हुआ था विरोध
हालांकि, ये सीरीज आई तो इसे लेकर बड़ा बवाल भी हुआ. करणी सेना और बजरंग दल का कहना था कि इसमें हिंदू धर्म का गलत चित्रण किया गया है, जिसके बाद नाराज लोगों ने भोपाल के साथ देख के कई हिस्सों विरोध किया था.
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FIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 12:30 IST