सोनभद्र। जिलाधिकारी श्री बी0एन0 सिंह के निर्देशन में अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) श्री सहदेव कुमार मिश्र ने आज तहसील परिसर स्थित उप निबन्धक राबर्ट्सगंज का आकस्मिक निरीक्षण किये, निरीक्षण के दौरान उप निबन्धक राबर्टसगंज श्री आनन्द कुमार शुक्ला कार्यालय में उपस्थित नहीं थे। कार्यालय में उप निबन्धक के स्थान पर कार्यालय के लिपिक श्री सिद्धार्थ सिंह व उनके साथ कम्प्यूटर आपरेटर श्री जुलियन रजिस्ट्री आदि की कार्यवाही सम्पादित कर रहे थे। सिद्धार्थ सिंह द्वारा बताया गया कि उप निबन्धक स्थलीय जाॅच में कहीं गए हैं, उनके द्वारा जाॅच स्थल का नाम नहीं बताया गया। लगभग 5 मिनट बाद एआईजी स्टाम्प व 20 मिनट बाद उप निबन्धक कार्यालय में उपस्थित आए। निरीक्षण के दौरान कार्यालय में जितेन्द्र श्रीवास्तव उर्फ गुड्डू, राकेश सिंह, सूरज, सौरभ, सोनू, कृष्णानन्द उर्फ बच्चा व अन्य अधिवक्तागण, मुहर्रिर उनके साथ बैनामा आदि कार्य के लिए आए। क्रेता व विक्रेता उपस्थित पाए गए। जिसमें से जितेन्द्र श्रीवास्तव उर्फ गुड्डू व कृष्णानन्द उर्फ बच्चा प्राईवेट व्यक्ति हैं तथा उन लोगों द्वारा निबन्धन कार्यालय की कुर्सियों पर बैठकर कार्यालीय कार्य सम्पादित किया जा रहा था, पूछने पर जितेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा बताया गया कि वह वसीका नवीस हैं, राकेश सिंह द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। सूरज द्वारा अपने को सिद्धार्थ सिंह का ड्राइवर बताया गया, सौरभ द्वारा स्वयं को अधिवक्ता का प्राइवेट मुहर्रिर, सोनू द्वारा अपने को उप निबन्धक का ड्राइवर और कृष्णानन्द उर्फ बच्चा द्वारा अपने आपको प्राइवेट मुहर्रिर बताया गया। इस दौरान उपरोक्त व्यक्तियों द्वारा अपना परिचय जिस किसी भी रूप में दिया गया परन्तु ये सभी प्राइवेट व्यक्ति उप निबन्धक कार्यालय के कम्प्यूटरयुक्त पटलों पर बैठक अनधिकृत रूप से कार्यालयीय कार्य का निष्पादन करते हुए पाए गए। इसके अतिरिक्त कम्प्यूटर आपरेटर जुलियन से जानकारी करने पर उनके द्वारा बताया गया कि माह जून, 2024 के कुल 64 लेखपत्र तहसीलदार कार्यालय को नामान्तरण हेतु ऑनलाइन प्रेषित किया जाना अवशेष है, जबकि शासनादेश के अनुसार पंजीकृत लेखपत्रों को उसी दिन अथवा अगले दिन तहसीलदार को प्रेषित कर दिया जाना चाहिए। किन्तु इतने लेखपत्रों का ससमय तहसीलदार को प्रेषित न किया जाना शासनादेश का स्पष्ट उल्लंघन व उप निबन्धक का कर्तव्यलोप है तथा उप निबन्धक की इस प्रकार की कार्यप्रणाली सर्वथा आपत्तिजनक है। निरीक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि उप निबन्धक कार्यालय में बाहरी व अनधिकृत व्यक्तियों को प्रवेश किया जाता है और उनसे कार्यालय के कार्य कराए जाते हैं, जिसके कारण कार्यालय की गोपनीयता व शूचिता कुप्रभावित होना स्वभाविक है।