सावन की बयार इस बार ‘अपना अड्डा’ पर भी खूब बही। उम्मीदों और उमंगों की इस शाम और अगस्त माह के ‘अपना अड्डा’ कार्यक्रम में देश भर के अलावा विदेश से आए कलाकार भी जुटे। सबने एक दूसरे की कुशल क्षेम पूछने के बाद अपनी अपनी कलाओं से संबंधित प्रस्तुतियां दीं और कार्यक्रम में आए विशिष्ट अतिथियों से अभिनय और संवाद लेखन की बारीकियां सीखीं। इस मौके पर हिंदी रंगमंच के प्रसिद्ध निर्देशक ओम कटारे ने अभिनय को एक सतत चलते रहने वाली प्रक्रिया बताया और इसके लिए अभ्यास की प्राथमिकता पर बल दिया। प्रसिद्ध संवाद लेखक इम्तियाज हुसैन ने लेखन का पूरा निचोड़ सिर्फ एक लाइन में समझ दिया कि फिर फिर लिखना, फिर से लिखना ही असली लेखन है।
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इस बार ‘अपना अड्डा’ में सॉफ्टवेयर की दुनिया से मनोरंजन की दुनिया में आए लेखक विराग धूलिया ने अपनी ही लिखी कविता पर अभिनय प्रस्तुति तो इसे देख लोगों ने ख़ूब तालियां बजाईं। प्रेमचंद की लिखी कहानी ‘बड़े भाई साहब’ के एक अंश पर अभिनेता जयशंकर त्रिपाठी ने ज़बर्दस्त अभिनय प्रतिभा दिखाई। जयशंकर विज्ञापन की दुनिया का जाना-पहचाना नाम हैं। अब तक करीब 800 विज्ञापन फिल्में कर चुके जयशंकर का नाम इस उपलब्धि के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया जा चुका है। उनके अलावा यात्री थियेटर ग्रुप का लंबे समय से हिस्सा रहे साहिल के अतरंगी अभिनय के भी लोग कायल हुए।
‘अपना अड्डा’ में अभिनेता चेतन शर्मा ने कविता प्रस्तुति की और उनके निराले अंदाज की भी लोगों ने भूरि भूरि प्रशंसा की। जापान में रह रहे अपने अभिभावकों से दूर यहां मुंबई में अभिनय को अपना पेशा और पैशन दोनों बना रहे अभिनेता सनी डबराल को ‘अपना अड्डा’ का आयोजन काफी पसंद आया। उन्होंने कहा कि अगली बार वह भी अपनी कोई प्रस्तुति तैयार करके आएंगे और उसका मंचन करेंगे। यात्री थियेटर ग्रुप की दिव्यानी रतनपाल की भावपूर्ण प्रस्तुति पर लोग वाह वाह कर उठे।
हिंदी कथा विधा के चर्चित लेखक शेषनाथ पाण्डेय ने भी इस मौके पर लोगों से संवाद किया और बदलते परिवेश में बदल रही जिंदगियों पर लिखी गई अपनी पुस्तक ‘इलाहाबाद भी’ के बारे में लोगों को जानकारी दी। हिंदी रंगमंच के सशक्त हस्ताक्षर ओम कटारे ने अभिनय क्षेत्र में आए लोगों को हुनर को तराशते रहने के मंत्र बताए। उन्होंने 20 अगस्त से जीत स्टूडियो, चार बंगला, महाडा में शुरू हो रही अपनी कार्यशाला के बारे में बताया और अगले तीन दिन तक लगातार पृथ्वी थियेटर में होने जा रहे अपने नाटकों ‘टिल्लू की दुल्हनिया’, ‘जीने भी दो यारों’ और ‘रात बाकी’ के बारे में जानकारी दी। ‘रात बाकी’ हिंदी रंगमंच पर हॉरर का पहला प्रयोग माना जाता है।
‘परिंदा’, ‘वास्तव’ और ‘दिल आशना है’ जैसी फिल्मों के प्रसिद्ध संवाद लेखक इम्तियाज हुसैन ने इस बार के ‘अपना अड्डा’ में लेखन कला का सारा निचोड़ एक ही वाक्य में बता दिया कि फिर फिर लिखना ही असल लिखना है। उन्होंने कहा कि जब फिल्म ‘परिंदा’ के संवाद लिखने के लिए उन्हें इसकी पटकथा दी गई थी, तो वह उसका 17वां ड्राफ्ट था। लेखक को अपने ही लिखे को लगातार मांजते रहने की आदत होनी जरूरी है और जितना वह अपने लिखे को खुद परिमार्जित करता रहेगा, उतना ही उसका लेखन जनता के करीब होता जाएगा।