Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 14 Aug 2024 08:17 AM IST
नेहरू-गांधी परिवार की पारंपरिक सीट बताकर कांग्रेस नेता इस सीट पर पार्टी के मजबूत होने की दुहाई दे रहे हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि कांग्रेस यहां आखिरी बार 1985 में जीती थी। फिर, एक बार छोड़ दें तो 35 साल से प्रत्याशी जमानत तक नहीं बचा सके।
फुलपुर विधानसभा उप चुनाव।
– फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
भाजपा सांसद प्रवीण पटेल के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई है फूलपुर विधानसभा सीटप्रयागराज। इंडिया गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने फूलपुर विधानसभा सीट पर दावा बेशक ठोका है, लेकिन उसकी दलीलें बहुत दमदार नहीं दिख रहीं। नेहरू-गांधी परिवार की पारंपरिक सीट बताकर कांग्रेस नेता इस सीट पर पार्टी के मजबूत होने की दुहाई दे रहे हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि कांग्रेस यहां आखिरी बार 1985 में जीती थी। फिर, एक बार छोड़ दें तो 35 साल से प्रत्याशी जमानत तक नहीं बचा सके।
भाजपा विधायक प्रवीण पटेल के फूलपुर सांसद चुने जाने से यह सीट रिक्त हुई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्वी जोन के प्रभारी राजेश तिवारी ने सोमवार को यहां अपना दावा दोहराया। कहा, यूपी की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उनमें पांच सीटें सपा के कब्जे वाली हैं। वहां सपा ही लड़े। बाकी पांच सीटें कांग्रेस को दी जाएं। जिन सीटों पर कांग्रेस दावा ठोक रही है, उनमें फूलपुर भी है।