बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इसके दायरे में आने वाली जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद भी जमीनों की रजिस्ट्री राजनीतिक और अधिकारियों के सहयोग से होती रही।
अमरिया में रहमत हुसैन की जमीन पर मुआवजे के लिए बनाया गया भवन
– फोटो : संवाद
विस्तार
बरेली- सितारगंज हाईवे के दायरे में आने वाली जमीनों को खरीदने वाले बड़े उद्योगपतियों और अफसरों के गठजोड़ की कहानी चौंकाने वाली है। हाईवे का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस दायरे में रोक के बाद भी जमीनों की रजिस्ट्री राजनीतिक और अधिकारियों के सहयोग से होती रही। इसके बाद मुआवजे का खेल करने के लिए जमीन पर बड़े-बड़े स्थायी और अस्थायी भवन बनाकर खड़े कर दिए गए।
ऐसा ही एक मामला हाईवे के दायरे में आने वाले पीलीभीत के अमरिया क्षेत्र का है। अमरिया के रहने वाले हसीब खां की कृषि भूमि गाटा संख्या 84 में 14 बीघा जमीन का पांच लाख रुपये बीघा के हिसाब से 73 लाख रुपये में धर्मवीर मित्तल व उसके पार्टनर से सौदा हुआ।
जमीन की रजिस्ट्री भी करा दी गई। जबकि हसीब के छोटे भाई हबीब खां की कृषि भूमि गाटा संख्या 84 में करीब 14 बीघा जमीन का वर्ष 2021 में मित्तल ग्रुप से ही 10 लाख रुपये बीघा के हिसाब से 1.30 करोड़ रुपये में सौदा हुआ था, लेकिन रजिस्ट्री वर्ष 2022 में हुई।