डॉ. संदीप घोष।
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर की हत्या की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितता करने का आरोप है। सीबीआई ने कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष से साल्ट लेक कार्यालय में लगातार 15वें दिन पूछताछ की। इसके बाद उन्हें सीबीआई के निजाम पैलेस कार्यालय ले जाया गया। जहां उन्हें गिरफ्तार किया गया।
अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने डॉ. संदीप घोष के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य रहते कई मामलों में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई थी। अली ने उच्च न्यायालय का रुख किया था, क्योंकि इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या संस्थान में कथित भ्रष्टाचार का संबंध महिला डॉक्टर की मौत से जुड़ा है, और क्या पीड़िता को इसकी जानकारी थी और इससे मामले के उजागर होने का खतरा था।
एक साल पहले भी दर्ज कराई थी शिकायत
अख्तर अली ने यह भी आरोप लगाया था कि एक वर्ष पहले राज्य सतर्कता आयोग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के समक्ष घोष के खिलाफ दर्ज कराई गई उनकी शिकायतों का कोई खास नतीजा नहीं निकला और इसके बजाय उन्हें संस्थान से स्थानांतरित कर दिया गया। उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में अली ने घोष पर लावारिस शवों की अवैध बिक्री, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट की तस्करी तथा दवा और चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्ताओं द्वारा दिए गए कमीशन पर निविदाएं जारी करने का आरोप लगाया।
छात्रों से परीक्षा में पास होने के लिए ली गई रकम- अली
याचिकाकर्ता अली ने यह भी आरोप लगाया था कि छात्रों पर परीक्षा पास करने के लिए पांच से आठ लाख रुपये तक की रकम देने का दबाव बनाया गया था। संदीप घोष ने फरवरी 2021 से सितंबर 2023 तक आरजी कर अस्पताल के प्राचार्य के रूप में काम किया। उन्हें उस वर्ष अक्टूबर में चिकित्सा प्रतिष्ठान से स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन एक महीने के भीतर ही वह उस पद पर वापस आ गए। महिला डॉक्टर की हत्या वाले दिन तक वह अस्पताल में कार्यरत थे।
सीबीआई ने दर्ज की थी एफआईआर
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। एजेंसी ने उनके कार्यकाल के दौरान संस्थान में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में एफआईआर दर्ज की। जिसमें आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) को धारा 420 आईपीसी (धोखाधड़ी और बेईमानी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 7 के साथ लगाया है, जो एक लोक सेवक की तरफ से अवैध रूप से रिश्वत लेने को दिखाता है। एफआईआर में संदीप घोष के अलावा, सीबीआई ने मध्य जोरहाट, बानीपुर, हावड़ा के मेसर्स मा तारा ट्रेडर्स, जेके घोष रोड, बेलगछिया, कोलकाता के मेसर्स ईशान कैफे और मेसर्स खामा लौहा को नाम शामिल किया गया।