सांकेतिक तस्वीर
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रेलवे बोर्ड ने संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए पुलिस सत्यापन को अनिवार्य बनाने की सलाह दी है। बोर्ड ने कहा कि आपराध के आंकड़ों से पता चलता है कि इन कर्मचारियों की संलिप्तता उत्पीड़न, यात्रियों के सामान और रेलवे संपत्ति की चोरी जैसे कई मामलों में पाई गई है।
बोर्ड ने कहा कि आंकड़ों की जांच करने पर यह पाया गया कि कई मामलों में पुलिस ने सत्यापन नहीं किया गया था। बोर्ड ने सभी 17 रेलवे जोन के सामान्य प्रबंधकों और भारतीय रेलवे कैटरिंग और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के प्रबंध निदेश को एक परिपत्र (सर्कुलर) जारी किया। इसमें कहा गया, सुरक्षा (अपराध) आकंड़ों से कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां संविदा कर्मचारियों को यात्रियों की संपत्ति की चोरी, उत्पीड़न और रेलवे संपत्ति की चोरी जैसे मामलो में शामिल पाया गया है।
बीस अगस्त को जारी सर्कुलर में बोर्ड ने सुझाव दिया कि इन मामलों को ध्यान में रखते हुए जोनल रेलवे और आईआरसीटीसी को सलाह दी जाती है कि ट्रेनों और स्टेशनों पर कैटरिंग और वेंडिंग स्टाफ की नियुक्ति से पहले उनका 100 फीसदी पुलिस सत्यापन अनिवार्य होना चाहिए, ताकि उनकी पृष्ठभूमि को जाना जा सके।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि सर्कुलर तब जारी किया गया जब पता चला कि कई संविदा कर्मचारियों के खिलाफ पहले से ही आपराधिक मामले लंबित हैं। ये कर्मचारी कैटरिंग और वेंडिंग के काम के लिए नियुक्त किए गए थे।
एक रेलवे अधिकारी ने बताया, ऐसे छोट अपराधियों को रेलवे की नौकरियों में संविदा कर्मचारी के रूप में नियुक्त करने से रोकना बहुत जरूरी है और पुलिस सत्यापन ही इसका एकमात्र समाधान है। इसलिए बोर्ड ने यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे के संचालने के हित में विभिन्न जोन और आईआरसीटीसी को यह सलाह दी है।