राज्यपाल बोस ने राष्ट्रपति के पास भेजा अपराजिता विधेयक
– फोटो : ANI
विस्तार
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी के बाद पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की तरफ से लाए गए अपराजिता विधेयक को राज्यपाल की तरफ से राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज दिया है। मामले में राजभवन के मीडिया सेल की तरफ से सोशल मीडिया एक्स पर किए गए एक पोस्ट में लिखा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार से अनिवार्य तकनीकी रिपोर्ट प्राप्त होने पर राज्यपाल ने अपराजिता विधेयक को भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजा है।
राजभवन ने विधानसभा सचिवालय से जताई नाराजगी
इसके साथ ही राजभवन ने राज्य विधानसभा सचिवालय की तरफ से नियमों के तहत बहस का पाठ और उसका अनुवाद उपलब्ध कराने में विफलता पर अपनी नाराजगी भी जताई है। बता दें कि तीखी बहस, आपसी आरोप-प्रत्यारोप, राजनीतिक धमकियों और अल्टीमेटम के अंत में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल की तरफ से विधेयक को मंजूरी न दिए जाने पर राजभवन के बाहर धरना देने की धमकी दी थी। जिस पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के धमकाने वाले रुख पर नाराजगी जताई और सरकार को कानूनी और संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई है।
मुख्य सचिव ने दिन में राज्यपाल से की थी मुलाकात
राजभवन मीडिया सेल के पोस्ट के अनुसार, आज मुख्य सचिव ने दिन में राज्यपाल से मुलाकात की। दोपहर में सरकार की तरफ से अनिवार्य तकनीकी रिपोर्ट राज्यपाल को उपलब्ध कराई गई। राज्यपाल ने विधेयक को भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख लिया है। अब पश्चिम बंगाल विधेयक महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश से राष्ट्रपति के पास लंबित इसी तरह के अन्य विधेयकों की कतार में शामिल हो जाएगा।
‘जल्दबाजी में काम न करें और आराम से पछताएं’
वहीं राज्यपाल ने जल्दबाजी में पारित विधेयक में चूक और कमियों की ओर इशारा किया। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी, ‘जल्दबाजी में काम न करें और आराम से पछताएं’। राज्यपाल ने कहा कि लोग विधेयक के लागू होने तक इंतजार नहीं कर सकते। वे न्याय चाहते हैं और उन्हें मौजूदा कानून के दायरे में न्याय मिलना चाहिए। सरकार को प्रभावी तरीके से काम करना चाहिए, लोगों को न्याय मिलना चाहिए। अपनी प्यारी बेटी को खोने वाली शोक संतप्त मां के आंसू पोंछना सरकार का कर्तव्य है। राज्यपाल ने विधेयक में स्पष्ट खामियों और कमियों की ओर इशारा किया और सरकार को जल्दबाजी में जवाब देने के बजाय अपना होमवर्क करने की सलाह दी।
West Bengal Governor refers Aparajita Bill for consideration of the President of India
On receipt of mandatory technical report from the Govt. of West Bengal, Governor has referred the Aparajita Bill for consideration of President of India
But the Raj Bhavan expressed its…
— Raj Bhavan Media Cell (@BengalGovernor) September 6, 2024
टीएमसी नेता ने राज्यपाल से की थी अपील
वहीं इस मामले में टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि राज्यपाल को अपराजिता बिल को तुरंत पास कर देना चाहिए क्योंकि यह महिलाओं की सुरक्षा और महिलाओं के खिलाफ अपराध के खिलाफ सबसे सख्त कदम उठाने के लिए एक आदर्श बिल है। जब भी पश्चिम बंगाल की विधानसभा बिल पास करती है, राज्यपाल को तुरंत इसे पास कर देना चाहिए। लेकिन वह देरी करने की रणनीति अपना रहे हैं।
#WATCH | TMC leader Kunal Ghosh says, “The Governor should clear the Aparajita bill urgently because this is a model bill for the safety and security of women and the toughest steps against crime against women. Whenever the assembly of West Bengal passes the bill, the governor… pic.twitter.com/LRgvkBoIGK
— ANI (@ANI) September 6, 2024
तीन सितंबर को विधानसभा से पास हुआ अपराजिता बिल
बता दें कि तीन सितंबर को राज्य की ममता बनर्जी सरकार की तरफ से विधानसभा में पेश दुष्कर्म रोधी विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया गया था। विधेयक में पीड़िता की मौत होने या उसके ‘कोमा’ जैसी स्थिति में जाने पर दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसका मकसद दुष्कर्म और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों को लागू करना और महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है।