Islam Religion : इस्लाम धर्म के पांच मूल स्तंभ शहादा, सलाह, जकात, सवाम और हज। इन पांचों स्तंभों का हर मुसलमान सख्ती से पालन करता है. इन पांच स्तंभों में से जकात की भूमिका इस्लाम धर्म में काफी अहम है. जकात का शाब्दिक अर्थ ‘शुद्धिकरण’ होता है. इस्लाम धर्म (Islam Religion) को मानने वाला हर मुसलमान गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए भुगतान करता है. इस्लाम धर्म में सबसे ज्यादा जकात रमजान के पाक महीने में किया जाता है. इस्लाम में जकात (Zakat) एक प्रकार का दान होता है.
कुरान (Quran) में सलात (नमाज़) के बाद जकात़ को ही प्राथमिकता दी जाती है. शरीयत में जकात के बारे में कहा गया है कि ये अल्लाह ताआला (Prophet Muhammad) द्वारा दिया गया वह माल (संपत्ति) है, जिससे उसके बंदे जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकें. शरीयत के मुताबिक इस्लाम धर्म को मानने वाले हर मुसलमान को अपनी संपत्ति का 2.5 प्रतिशत हिस्सा दान करना चाहिए. इसी दान को जकात (Zakat)कहते हैं. हालांकि जकात को लेकर ये भी कहा जाता है कि मुसलमान अपनी क्षमता के अनुसार जकात (दान) कर सकते हैं.
जकात का हिसाब कैसे करें ? (How to calculate Zakat)
जकात देने का तरीका हर देशों में अलग-अलग है. कई मुस्लिम देशों (Islamic Country) में वहां की सरकार जकात को इकट्ठा करती है. कई जगहों पर मुसलमान जकात (Zakat) का तरीका खुद चुनते हैं. वे जकात देने के लिए स्थानीय मस्जिद, किसी सामुदायिक संगठन, मुस्लिम संघों को दान देने के लिए चुनते हैं.
2024 में जकात कब देनी है?
जकात अदा करने के लिए कोई तय समय सीमा निर्धारित नहीं है. इसके लिए जब आपके पास धन जमा होने के एक वर्ष बाद और निसाब (एक न्यूनतम राशि, जो किसी मुसलमान के पास जाकत के लिए होनी ही चाहिए) की सीमा तक पहुंचने और चंद्र वर्ष (354 दिनों) तक रखने के बाद मुसलमान को जकात (Zakat) देना चाहिए.
जकात के लिए कौन 8 लोग पात्र होते हैं?
जकात के लिए 8 तरह के लोगों को पात्र बताया गया है.
- गरीब
- जरूरतमंद
- जो इसे प्रशासित करने का काम करते हैं
- जिनके दिल में सुलह है (जिन्होंने इस्लाम को अपनाया है या इसके लिए इच्छुक हैं)
- बंधनों में फंसे लोगों को मुक्त करने के लिए
- कर्ज में डूबे लोगों को
- ईश्वर के मार्ग के लिए
- यात्री को
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