रोमल शेट्टी
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डेलॉइट के दक्षिण एशिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रोमल शेट्टी ने कहा कि भारत एक ऐसे समय में भी उज्ज्वल स्थान पर बना हुआ है, जब वैश्विक अर्थव्यस्था में अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं। भारत मौजूदा वित्तीय वर्ष (2025) में सात फीसदी की वृद्धि हासिल कर सकता है।
रोमल शेट्टी ने कहा कि महंगाई काफी हद तक नियंत्रित है, ग्रामीण मांग में तेजी आई है और वाहनों की बिक्री में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि इस वित्तीय वर्ष में हमारी वृद्धि दर 7 से 7.1 फीसदी के बीच होगी। शेट्टी भारत में चार बड़ी अकाउंटिंग और कंसल्टेंसी फर्म के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।
उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2025 में वृद्धि के मामले में हम 7 से 7.1 फीसदी के दायरे में रहेंगे। परिस्थितियां विपरीत हैं। लेकिन सच तो यह है कि वैश्विक स्तर पर जो कुछ भी हो रहा है, उसके बावजूद भारत अभी भी बेहतर स्थिति में हैं। लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि हम दुनिया से अलग हैं। उन्होंने कहा, पश्चिम एशिया और यूक्रेन में जारी संकट और पश्चिमी दुनिया में मंदी का असर जीडीपी की वृद्धि पर पड़ेगा।
डेलॉइट के अनुमानों के मुताबिक, अगले वित्तीय वर्ष (2025-26) में जीडीपी की वृद्धि दर 6.7 फीसदी रहन की संभावना है। पिछले वित्तीय वर्ष (2023-24) में भारत की अर्थव्यवस्था 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी थी। पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में शेट्टी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मोदी सरकार निजीकरण जैसे आर्थिक सुधारों को उसी गति से जारी रखेगी। भारत इस दश के भीतर पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ रहा है, जो अभी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए सकारात्मक संकेत हैं, क्योंकि देश कई चीजों का शुद्ध आयातक है। इसके अलावा, अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती भारत के लिए फायदेमंद होगी। शेट्टी ने यह भी कहा कि भारत को तकनीक का उपयोग करते हुए कृषि उत्पादकता को बढ़ाने पर फोकस करना होगा और उन खास क्षेत्रों की पहचान करनी होगी, जहां भारत वैश्विक स्तर पर अपना दबदबा बना सकता है।
2047 तक भारत के विकसित देश बनने के सपने को लेकर शेट्टी ने कहा कि वर्तमान में प्रति व्यक्ति आय 2,500 डॉलर है, तब तक यह बढ़कर 20,000 डॉलर तक पहुंचनी चाहिए। यदि प्रति व्यक्ति आय एक निश्चित स्तर से ऊपर जाती है तो अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ेगी। उन्होंने कहा, जब प्रति व्यक्ति आय 5,000 डॉलर तक पहुंचेगी, तो लोगों की खरीददारी की क्षमता बढ़ेगी। इससे घरेलू अर्थव्यवस्था अधिक आत्मनिर्भर बनेगी।