पुष्टाहार वितरण घोटाला
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आगरा में पुष्टाहार वितरण घोटाले में पुलिस कार्रवाई से घबराई महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सोमवार को कलेक्ट्रेट में ‘दुर्गा’ बन गईं। उपवास में नंगे पैर घेराव और विरोध-प्रदर्शन किया। निष्पक्ष जांच और निर्दोषों को नहीं फंसाने की गुहार लगाई। पहले एडीएम वित्त ने ज्ञापन लिया। फिर एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी से भी मिला।
जिलाधिकारी ने कहा कि जिन्हें निलंबित किया गया है, उनकी जांच होगी। अन्य को परेशान नहीं किया जाएगा। सभी अपने केंद्रों पर ईमानदारी से काम करें। पुष्टाहार का वितरण कराएं। किसी के दवाब में न आएं। इससे पहले कलेक्ट्रेट परिसर में महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के बैनर तले धरना सभा हुई। प्रदेश प्रवक्ता राजेश शर्मा ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4500 रुपये मानदेय मिलता है। घर चलाना मुश्किल होता है। विभाग के अधिकारी उनसे अवैध वसूली करते हैं। अधिकारी ही पुष्टाहार की कालाबाजारी कराते हैं।
लाभार्थियों के खाते में जाए धनराशि
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कहा पुष्टाहार वितरण बंद किया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि पुष्टाहार की धनराशि सीधी लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाए। प्रदेश उपाध्यक्ष डालचंद चौधरी ने कहा कि पुष्टाहार विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में 28 अगस्त को डीएम के नाम ज्ञापन दिया था। उस ज्ञापन से कोई सीख नहीं ली गई, जिसका नतीजा पुष्टाहार वितरण में घोटाले के रूप में सामने आया।
सीडीपीओ पर वसूली का आरोप
जगनेर से आई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) प्रत्येक केंद्र से 5 से 10 हजार रुपये प्रतिमाह वसूली कर रहे हैं। कम राशन दिया जाता है। ऐतराज पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का उत्पीड़न होता है। डीएम ने इस मामले की जांच के आदेश एडीएम प्रोटोकॉल प्रशांत तिवारी को दिए।