सोशल मीडिया के इस दौर में कई चीजें बदल गई हैं, जिनमें से एक है फिल्म देखने का तरीका. आजकल जब भी कोई फिल्म रिलीज होने वाली होती है तो हम सबसे पहले उसका एडवांस बॉक्स ऑफिस कलेक्शन देखते हैं और जब फिल्म रिलीज हो जाती है तो हम इंटरनेट पर जाकर उसके रिव्यू देखते हैं. रिव्यू में भी सबसे ज्यादा नजर फिल्म की रेटिंग पर जाती है.
आजकल हम किसी फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को देखकर तय करते हैं कि वह कितनी अच्छी या बुरी है, लेकिन सवाल यह है कि किसी भी फिल्म को इस तरह से आंकना कहां तक जायज है? जब तक हम फिल्म नहीं देखेंगे, हमें कैसे पता चलेगा कि यह हमारी रुचि के हिसाब से बनी है या नहीं. किसी भी फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन हमारी रुचि के बारे में कैसे बता सकता है?
फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कुछ लोग आए दिन फेक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन फेक पर बात करते रहते हैं. क्या आप समझ पाए कि ये फेक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन क्या है? इसे हम माइंड गेम कह सकते हैं. कैसे? तो सबसे पहले मैं आपको इसे समझने के लिए एक उदाहरण देता हूं.
मान लीजिए आप सोशल मीडिया पर कोई वीडियो देख रहे हैं, लेकिन जब आप उसके व्यूज देखते हैं तो वो बहुत कम हैं. साथ ही लाइक और कमेंट भी बहुत कम हैं. ज्यादातर कमेंट्स भी ये नहीं कह रहे हैं कि वीडियो अच्छा है. तो क्या आप उस वीडियो को पूरा देखेंगे? शायद नहीं, क्योंकि ये तीनों बातें आपके मन में उस वीडियो के लिए निगेटिविटी पैदा करती हैं. आपको लगेगा कि वीडियो अच्छा नहीं है, इसीलिए उसके इतने कम व्यूज हैं.
अब आप दूसरे वीडियो की ओर बढ़ते हैं, जहां मिलियन में व्यूज हैं और लाखों में लाइक और कमेंट्स हैं. तो जाहिर सी बात है आप उस वीडियो को पूरा जरूर देखेंगे, क्योंकि जब लाखों में लोग उस वीडियो को देख रहे हैं तो कुछ तो उसमें बात होगी. बस यही माइंड गेम का इस्तेमाल आज कल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के साथ किया जा रहा है, जिसे हम फेक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कहते हैं. ‘फेक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन’ भी कुछ इसी तरह काम करता है.
हालांकि, ‘फेक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन’ में कितनी सच्चाई है, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि आज तक ‘फेक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन’ को लेकर कोई प्रमाण सामने नहीं आया है और हम भी ऐसी बातों पर कोई दावा नहीं करते, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कुछ लोग इस पर दावा जरूर करते हैं. उनके मुताबिक, फिल्म को हिट कराने के लिए फिल्म मेकर्स खुद ही सभी शो की टिकट खरीद लेते हैं, जिससे लोगों को लगता है कि फिल्म हाउसफुल जा रही है, मतलब फिल्म अच्छी होगी और लोग फिल्म देखने का प्लान बना लेते हैं.
जिस फिल्म का कलेक्शन अच्छा होता है, लोग उस फिल्म को देखना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन जब दर्शक सिनेमाघरों में जाते हैं तो ज्यादातर सीटें खाली होती हैं. ऐसा इसलिए ही होता है, क्योंकि मेकर्स खुद सारी सीटें बुक किए रहते हैं.
जहां तक फिल्म रिव्यू में दी जाने वाली रेटिंग की बात है तो यह सिर्फ फिल्म की कहानी के आधार पर नहीं दी जाती बल्कि यह फिल्म के कई पहलुओं को देखकर दी जाती है, जिसमें निर्देशन से लेकर फिल्म की कहानी और अभिनय तक कई पहलुओं का मूल्यांकन करने के बाद यह तय किया जाता है. एक दर्शक और एक फिल्म समीक्षक के तौर पर फिल्म देखने का नजरिया बहुत अलग होता है. फिर भी फिल्म रिव्यू के जरिए आपको फिल्म से जुड़ी हर एक बात का पता जरूर चलता है, लेकिन किसी भी रिव्यू में फिल्म की पूरी कहानी भी नहीं बताई जाती है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
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FIRST PUBLISHED : October 15, 2024, 16:27 IST