पाकिस्तान में एस. जयशंकर।
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शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मलेन में हिस्सा लेने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर मंगलवार को पाकिस्तान के इस्लामाबाद पहुंच चुके हैं। यह भारत के किसी विदेश मंत्री की तरफ से नौ साल बाद पाकिस्तान का दौरा है। जयशंकर के पाकिस्तान पहुंचने के कुछ घंटो बाद ही पाकिस्तान ने दबे मुंह भारत के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की इच्छा जताई है। पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि यह भारत को तय करना है कि वह सम्मेलन से इतर पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बैठक करना चाहता है या नहीं।
द्विपक्षीय बैठक की जताई इच्छा
पाकिस्तान भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बैठक का प्रस्ताव रखना चाहेगा, इस सवाल का जवाब देते हुए पाकिस्तान के मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि एससीओ बैठक के मेजबान के रूप में, इस्लामाबाद वही करेगा जो मेहमान चाहेंगे। हम प्रस्ताव नहीं दे सकते। हमें मेहमानों के अनुसार चलना होगा। अगर मेहमान द्विपक्षीय बैठक चाहते हैं, तो हम निश्चित रूप से बहुत खुश होंगे। अहसान इकबाल ने आगे कहा कि बतौर मेजबान हम वास्तव में किसी पर यह दबाव नहीं डाल सकते कि वे द्विपक्षीय बैठक चाहते हैं या नहीं।
दोनों पक्ष कर चुके हैं शिखर सम्मेलन से इतर किसी भी बैठक से इनकार
बता दें कि इससे पहले भारत और पाकिस्तान दोनों ही एससीओ सम्मेलन से इतर किसी भी बैठक से इनकार कर चुके हैं। वहीं, प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब यह पूछा गया कि पाकिस्तान भारत के साथ व्यापारिक संबंध बहाल करना चाहेगा या नहीं, इस पर इकबाल ने कहा कि दोनों पक्षों को लाहौर समझौते के अनुसार ही काम करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर हम लाहौर समझौते के मुताबिक चलेंगे तो ऐसी कोई समस्या नहीं होगी जो मिलकर हल न की जा सके।
रेड कारपेट पर हुआ जयशंकर का स्वागत
जयशंकर के पाकिस्तान दौरे को इस्लामाबाद में भारत के सकारात्मक कदम के तौर पर देखा जा रहा है। पाकिस्तान इस साल 15 और 16 अक्तूबर को एससीओ समिट का आयोजन कर रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर का पाकिस्तान में रेड कारपेट पर स्वागत हुआ। गौरतलब है कि बीते नौ वर्षों में कश्मीर और सीमापार आतंकवाद के मुद्दों को लेकर दोनों देशों के रिश्ते ठंडे रहे हैं। ऐसे में किसी भी भारतीय मंत्री की तरफ से पाकिस्तान का दौरा दूर की कौड़ी ही रहा।
बता दें कि पाकिस्तान जाने वाली आखिरी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज रही थीं। वे दिसंबर 2015 में अफगानिस्तान पर एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए इस्लामाबाद पहुंचीं थीं।