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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Fri, 18 Oct 2024 12:27 PM IST
कोर्ट ने अपने फैसले में ईशा योग केंद्र को सलाह देते हुए कहा कि जब आपके आश्रम में महिलाएं और नाबालिग बच्चे हैं तो आपको आंतरिक शिकायत कमेटी गठित करने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि इस सलाह का उद्देश्य किसी संगठन को बदनाम करना नहीं है बल्कि सिर्फ ये बताना है कि कुछ चीजों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट – फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने ईशा योग केंद्र को बड़ी राहत देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा कर दिया। यह याचिका एक पिता द्वारा दायर की गईं थी, जिसने आरोप लगाया था कि उसकी दो बेटियों को ईशा योग केंद्र में बंधक बनाकर रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बेटियों के बयान को माना, जिसमें दोनों ने कहा कि वे अपनी इच्छा से आश्रम में रह रही हैं और कहीं भी आने-जाने के लिए स्वतंत्र हैं। दोनों महिलाओं की उम्र 39 और 42 साल है।
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कोर्ट ने की ये टिप्पणी
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों महिलाओं के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई बंद करने का आदेश दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले का ईशा योग केंद्र के खिलाफ चल रहे अन्य मामलों पर कोई असर नहीं होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में ईशा योग केंद्र को सलाह देते हुए कहा कि जब आपके आश्रम में महिलाएं और नाबालिग बच्चे हैं तो आपको आंतरिक शिकायत कमेटी गठित करने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि इस सलाह का उद्देश्य किसी संगठन को बदनाम करना नहीं है बल्कि सिर्फ ये बताना है कि कुछ चीजों का ध्यान रखा जाना चाहिए।