US Presidential Election 2024
– फोटो : Amar Ujala
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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के लिए दो दिन का ही समय शेष है। इन चुनावों में एक महत्वपूर्ण राज्य मिशिगन है। यहां अब तक परंपरागत रूप से भारतवंशी, मुसलमान और अफ्रीकी-अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों को समर्थन देते आए हैं। लेकिन अब वे भी रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करने लगे हैं। यह बदलाव आम चुनावों में बड़ा असर डाल सकता है। देश में पांच नवंबर को मतदान होने हैं।
दुनिया की ऑटो राजधानी है मिशिगन
मिशिगन उन सात अहम राज्यों में से एक है, जहां पर चुनाव में करीबी मुकाबला हो सकता है। दुनिया की ऑटो राजधानी डेट्रोइट मिशिगन की अर्थव्यवस्था चलाती है और यहां ऑटो मोबाइल उद्योग में कई रोजगार पैदा होते हैं। राज्य में मजदूरों की संख्या और मजदूर संगठन इसे चुनावी मौसम में महत्वपूर्ण बनाते हैं। मिशिगन की जनसांख्यिकी न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया की तरह विविधता से भरी है। यह मुस्लिम आबादी काफी है और कई कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट्स का प्रतिनिधित्व अफ्रीकी अमेरिकी करते हैं। डेट्रॉइट में भारतीय मूल के अमेरिकियों की आबादी भी तेजी से बढ़ी है। पिछले एक दशक में मंदिरों, रेस्तरां और किराने की दुकानों की बढ़ती संख्या के कारण यहां भारतीय-अमेरिकी समुदाय की आबादी बढ़ी है।
पारंपरिक रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक रहे भारतीय-अमेरिकी
भारतीय मूल के अमेरिकियों में से एक अशोक बड्डी पारंपरिक रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक रहे हैं, जो एक सफल कोराबारी और समुदाय के नेता भी हैं। उनका कहना है कि उप राष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस की भारतीय-अफ्रीकी और सांस्कृतिक जड़ें हैं, लेकिन उसका इस बार वोट पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बड्डी ने कहा कि बीते वर्षों के विपरीत इस बार यहां लोग ट्रंप को वोट देंगे, न कि हैरिस को। इसके कई कारण हैं। हैरिस ने कभी भारतीय समुदाय से जुड़ने की कोशिश ही नहीं की। उनकी सरकार अमेरिका-भारत संबंध के लिए अच्छी नहीं होगी। दूसरी ओर, ट्रंप हिंदू अमेरिकियों के लिए अच्छे रहे हैं। उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ताना संबंध हैं। बड्डी ने यह भी कहा कि ट्रंप के प्रशासन के दौरान कोई युद्ध नहीं हुआ। जबकि बाइडन-हैरिस प्रशासन में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू गई हैं।
वहीं, वेन स्टेट बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के लिए चुनाव लड़ रहे सनी रेड्डी का मानना है कि भारतीय-अमेरिकियों के वोट ट्रंप और हैरिस के बीच समान रूप से बंटेंगे। उन्होंने कहा, यह एक करीबी मुकाबला है। भारतीय-अमेरिकियों का एक बड़ा हिस्सा ट्रंप की ओर झुक गया है।
’20 फीसदी मुसलमानों का ट्रंप की ओर झुकाव’
बांग्लादेशी मूल के कमाल रहमान मिशिगन के हेमट्राम्क के मेयर अमेर गालिब के सलाहकार हैं। वह कहते हैं कि अमेरिकी चुनाव में मिशिगन में कम से कम 20 फीसदी मुसलमानों का ट्रंप की ओर झुकाव है। गालिब पहले अरब-अमेरिकी और पहले मुसलमान हैं, जिन्होंने इस शहर के प्रशासन की जिम्मेदारी संभाला है। उन्होंने हाल ही में ट्रंप का समर्थन किया है। रहमान कहते हैं कि कि इस बदलाव के पीछे कई कारण हैं, जिसमें आर्थिक स्थिति और ट्रंप का एलजीबीटीक्यू समुदाय पर स्थिति शामिल हैं। उन्होंने कहा, वह (ट्रंप) मुसलमानों के विरोधी नहीं हैं। रहमान और उनके मेयर डेमोक्रेट समर्थक रहे हैं। लेकिन उन्होंने कहा, मैं इस बार ट्रंप को वोट दे रहा हूं।
ट्रंप ने मुसलमानों और अरब समुदाय से किया संपर्क
ट्रंप ने शुक्रवार को डेट्रॉइट में मुसलमानों और अरब समुदाय के लोगों से जनसंपर्क किया। इस चुनाव में कड़े मुकाबले को देखते हुए ट्रंप ने सोमवार को मिशिगन के ग्रैंड रैपिड्स में अपनी अंतिम सार्वजनिक रैली आयोजित करने का फैसला लिया है। पिछले कुछ महीनों से राज्यभार में ट्रंप के लिए प्रचार करने वाले सेम मैथ्यू का मानना है कि रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार इस राज्य में चुनाव जीतेंगे। हालांकि, मुकाबला काफी करीबी होगा। मैथ्यू ने कहा, हैरिस के प्रति व्यापाक असंतोष है। ट्रंप ने उन कई लोगों का समर्थन हासिल किया है, जो पहले उनको वोट नहीं देते थे। हमें उनके लिए समर्थन में बढ़ोतरी दिख रही है।
हैरिस के लिए प्रचार कर रहे कुछ भारतीय-अमेरिकी संगठन
इस बीच, कई भारतीय-अमेरिकी संगठन मिशिगन में हैरिस के लिए प्रचार कर रहे हैं। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने ने भी हैरिस के लिए प्रचार किया है। इनमें राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना और प्रमिला जयपाल भी शामिल हैं। उन्होंने डोर-टू-डोर प्रचार किया। मंदिरों का दौरा किया और सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लिया। एएपीआई विक्ट्री फंड के शेखर नरसिम्हन ने कहा, यह चुनाव आपके लिए ऐतिहासिक भागीदारी करने का मौका है। हम एक अमेरिकी राष्ट्रपति को चुनने जा रहे हैं। रेड्डी और रहमान ने कहा कि अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय और मजदूर संगठन अब डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ नहीं हैं।
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