खुदरा महंगाई दर (फाइल)
– फोटो : PTI
विस्तार
खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और उच्च आधार प्रभाव के खत्म होने से अक्तूबर, 2024 में खुदरा महंगाई एक बार फिर आरबीआई के तय दायरे से बाहर निकलकर 6 फीसदी के पार पहुंच सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इससे न सिर्फ आम आदमी के घर का बजट बिगड़ जाएगा, बल्कि रेपो दर में हालिया कटौती की संभावनाएं भी धूमिल हो जाएंगी।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई अक्तूबर में बढ़कर 6.15 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाएगी। यह अगस्त, 2023 के बाद इसका 14 महीने का उच्च स्तर होगा। उस समय खुदरा महंगाई 6.83 फीसदी रही थी, जबकि जुलाई, 2023 में बढ़कर 15 महीने के उच्च स्तर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी।
खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण खुदरा महंगाई सितंबर में भी बढ़कर 9 महीने के उच्च स्तर 5.49 फीसदी पर पहुंच गई थी, जबकि अगस्त में यह 3.65 फीसदी रही थी। इस दौरान खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर भी अगस्त के 5.66 फीसदी से बढ़कर सितंबर में 9.24 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई थी।
सब्जियां और खाद्य तेल में उछाल
रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर के बाद अक्तूबर में भी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उछाल आया है। इसकी मुख्य वजह सब्जियां और खाद्य तेल हैं। देश में नीति निर्माताओं के लिए खाद्य कीमतें अब भी एक चुनौती बनी हुई हैं, जो खुदरा महंगाई को स्थायी तौर पर चार फीसदी तक लाना चाहते हैं।
कीमतों के मोर्चे पर अब भी कई जोखिम
खाद्य आपूर्ति में व्यवधान (अगर कोई हो), खाद्य तेलों पर आयातित मूल्य दबाव और डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली सरकार में व्यापार शुल्क वृद्धि के प्रभाव जैसे कारकों से महंगाई पर जोखिम बना हुआ है। इन पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है।
मार्च तिमाही में मिल सकती है राहत
रिपोर्ट में कहा गया है कि सबकी निगाहें खरीफ सीजन में कटाई और रबी फसल की बुवाई की प्रगति पर होंगी। सबकुछ ठीक रहा तो चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही यानी जनवरी-मार्च तक खाद्य महंगाई में कमी आने की उम्मीद है।
दिसंबर में भी नहीं घटेगी रेपो दर
आरबीआई ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक में भी अक्तूबर में महंगाई को लेकर चिंता जताई गई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास भी हाल ही में अक्तूबर में खुदरा महंगाई के और तेजी से बढ़ने का संकेत दे चुके हैं। साथ ही, स्पष्ट कहा था कि दिसंबर के पहले सप्ताह में एमपीसी की होने वाली बैठक में दो साल से यथावत रेपो दर में कोई कटौती नहीं होगी।
-यूनियन बैंक की रिपोर्ट में रेपो दर में फरवरी, 2025 से 50 आधार अंकों की कटौती का चक्र शुरू होने का संकेत दिया गया है।
टमाटर के दाम 120 फीसदी बढ़े
क्रिसिल का हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, अक्तूबर में टमाटर की कीमतें एक साल पहले की समान अवधि के 29 रुपये से 120.68 फीसदी बढ़कर 64 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गई है। बारिश के कारण टमाटर की आवक प्रभावित हुई है। प्याज की कीमतें सालाना आधार पर 46 फीसदी बढ़ी हैं। आलू की कीमतों में 51 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।