दुद्धी/सोनभद्र। विश्व हिंदू महासंघ के तत्वाधान में श्री रामलीला मैदान पर श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक बाल व्यास मानस जी महाराज ने कथा के दौरान कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का मूल उद्देश्य सदाचार है व्यक्ति के जीवन के नए नए परिवर्तन आते है जब उस परिवर्तन को स्वीकार्य करता है तब ऐसे व्यक्ति से भगवान भी प्रेम करते है। भागवत कथा भक्तियुग ज्ञानयोग, वैराग्य योग, कर्म योग, राजधर्म, स्त्री धर्म एवं दर्शन से भरा हुआ है। भागवत कहने में तो चार अक्षर का है परंतु जब किसी श्रेष्ठ संत के मन से सुना जाए तो सबसे अधिक प्रभावशाली है। जैसे रोगी को रोग से मुक्त करता है भागवत। गरीब के गरीबी को दूर करता है भागवत। धर्म के आभाव में धर्म के मार्ग को बताता है भागवत। जीवित ही नहीं प्रेत आत्मा को मुक्त करता है भागवत। ऐसा कहते हुए स्कन्द महापुराण के माध्यम से भगवत महापुराण की कथा का गान करते हुए ब्राह्मण परिवार में जन्मे धुंधकारी जैसे महापापी को भी यह भागवत महा पुराण प्रेत की योनि से मुक्त कर परम पद बैकुंड की प्राप्ति कराए तो हम सभी मनुष्यों के दुख दूर क्यों नहीं हो जाएंगे। भागवत का मतलब ही समझता है भक्तों के मनवांछित कल्पनाओं से हटे मनोविज्ञान के साथ में सबके हृदय में सरकता तरलता परोपकार की भावना जागृत हो। व्यास भगवान ने सच्चिदानंद रुपाये कह के संसार को सत्य करुणा एवं संत का संदेश दिया जिससे किसी भी धर्म किसी भी पंथ किसी भी संप्रदाय को श्रवण मास से ही उसका सांसारिक जीवन सफल हो पाएगा। और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उसका शरीर रोगों से मुक्त हो जाएगा। भागवत सिखाता है अपने से अपना पन गरीबों से अपना पन पिछड़ों को आगे बैठना निचले को गले लगाना सबको को साथ पग पग बढ़ाना, गरीबी अमीरी का भेद मिटाना सब है यहां पंडित सब है यहां क्षत्रिय सब है या वैश्य भागवत कथा सार सबको शूद्र बताता है। कृष्ण मिले तो ब्राह्मण हो जाए कृष्ण की भक्ति मिले तो क्षत्रिय धर्म निभाए कृष्ण से प्रेम हुआ तो सुर दास जैसा वैश्य वन श्याम नाम की माला पिरोये लगी लगन कृष में यदि शूद्र विदुर घर भगवान केले की छिलके का भोग लगाए।
अब सोचो भागवत कथा क्या है,”भगवान कहते है भाव का भूखा हु भाव एक सार है जो भाव से भजे तो भव से बेड़ा पार है। “इससे पूर्व आयोजक समिति सहित कई भक्तों ने आरती किया।
इस दौरान समिति के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता सहित तमाम महिला एवं पुरुषों ने कथा का श्रवण किया जिसमें राकेश आजाद, संदीप तिवारी, कन्हैयालाल अग्रहरि, विंध्यवासिनी प्रसाद, कृष्ण कुमार, राकेश गुप्ता, ओमकार अग्रहरि, राजेश कुमार, बृजेश कुमार, रमाशंकर, निरंजन जायसवाल, आचार्य शशिकांत मिश्रा, शिवकुमार तिवारी, राजेंद्र जायसवाल, कृष्णा अग्रहरि आदि उपस्थित रहे।