{“_id”:”67993932ea0bf07ef20be283″,”slug”:”supreme-court-centre-reply-on-bnss-2023-sufficient-provisions-for-bail-suggestion-of-separate-bail-law-reject-2025-01-29″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Supreme Court: सरकार बोली- BNSS 2023 में पर्याप्त प्रावधान, अदालत से मिले ‘अलग जमानत कानून’ का सुझाव ठुकराया”,”category”:{“title”:”India News”,”title_hn”:”देश”,”slug”:”india-news”}}
सुप्रीम कोर्ट – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का अलग जमानत कानून लाने का सुझाव ठुकरा दिया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अमानत पर अलग से कानून लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसके लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के प्रावधान पर्याप्त हैं। दरअसल, सतेंदर कुमार अंतिल बनाम सीबीआई के मामले में 2022 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमानत देने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अलग से जमानत कानून लाने की सिफारिश की थी। पिछले साल कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्या अलग से जमानत कानून बनाने पर विचार किया जा रहा है।
Trending Videos
शीर्ष अदालत के सवालों के जवाब में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा कि नया आपराधिक कानून का अध्याय 35 जमानत और जमानत बॉन्ड से संबंधित है। गृह मंत्रालय के हलफनामे में कहा गया कि चूंकि भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम के एक अध्याय में जमानत और बॉन्ड से संबंधित प्रावधान पर्याप्त हैं, इसलिए जमानत पर अलग से कानून लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। 2022 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया था कि ब्रिटेन में जमानत अधिनियम है जो एक सरल प्रक्रिया का पालन करके जमानत से निपटने वाला एक व्यापक कानून है। अदालत ने कहा था कि हमारे देश में भी इसी तरह के अधिनियम की आवश्यकता है।
दंड प्रक्रिया संहिता स्वतंत्रता-पूर्व संहिता का ही एक विस्तार है, जिसमें कुछ संशोधन किए गए हैं। केंद्र ने कहा, कि उसने ‘गरीब कैदियों को सहायता’ योजना के क्रियान्वयन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जिसे जून 2023 में राज्यों को सूचित किया गया था। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे प्रत्येक जिले में एक अधिकार प्राप्त समिति और राज्य मुख्यालय स्तर पर एक निरीक्षण समिति का गठन करें।