Holika Dahan 2025: होली का त्योहार सिर्फ रंगों और खुशियों का ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था और परंपरा से भी गहरा संबंध रखता है. होलिका दहन की परंपरा बुराई पर अच्छाई की जीत, आत्मा की शुद्धि और कृषि समृद्धि की प्रतीक मानी जाती है.
होलिका दहन की शुरुआत: हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली, जिसे अग्नि से न जलने का वरदान था. होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गए और होलिका जलकर राख हो गई. तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है, जो यह दर्शाती है कि अन्याय और अहंकार का अंत निश्चित है, जबकि सच्ची भक्ति और अच्छाई की हमेशा जीत होती है.
होलिका दहन 2025 उबटन का ज्योतिषीय महत्व: हिंदू धर्म में होलिका दहन से पहले सरसों का उबटन लगाने की परंपरा है. मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और शरीर शुद्ध होता है. अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार है, तो इस दिन सरसों का उबटन लगाकर उसकी मैल को होलिका में डालना शुभ माना जाता है. इससे ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ मिलता है. सुख-समृद्धि की प्राप्ति– होलिका दहन के बाद अगर कोई सात बार उसकी परिक्रमा करता है, तो उसे जीवन में सात प्रकार के सुख, धन, सेहत और खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है. शत्रु बाधाओं से रक्षा– काली सरसों, काला तिल और लौंग से बना उबटन लगाने और उसकी मैल को होलिका में डालने से शत्रुओं की बुरी नजर और बाधाएं दूर होती हैं. इससे व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है.
होलिका दहन 2025 वैज्ञानिक महत्व: वैज्ञानिक दृष्टि से भी उबटन लगाने के कई लाभ होते हैं. यह त्वचा की गहराई से सफाई करता है, डेड स्किन हटाकर उसे चमकदार बनाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है. सरसों में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं और शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होते हैं. उबटन लगाने से त्वचा के रोमछिद्र खुलते हैं, जिससे शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं और ताजगी महसूस होती है. इसके अलावा, सरसों का उबटन शरीर में गर्मी बनाए रखता है, जिससे सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियों से भी बचाव होता है. इस प्रकार, होलिका दहन से पहले उबटन लगाना न सिर्फ आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है.
होलिका दहन का कृषि और आध्यात्मिक महत्व: होलिका दहन सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि इसका गहरा संबंध कृषि और आध्यात्मिकता से भी है. यह त्योहार फसल कटाई के समय आता है, इसलिए इसे प्रकृति और देवताओं को नई फसल अर्पित करने का शुभ अवसर माना जाता है. इससे समृद्धि और अच्छी पैदावार की कामना की जाती है. साथ ही, यह आत्मा की शुद्धि और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने का प्रतीक भी है. होलिका दहन हमें यह सिखाता है कि सच्चाई और धर्म की हमेशा जीत होती है, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों.
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