US Tariff War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वॉर छेड़ तो दी है लेकिन वो लगातार यू-टर्न लेते नजर आ रहे हैं. उन्होंने 2 अप्रैल को सभी देशों पर टैरिफ लगाते हुए उस दिन को लिबरेशन डे बताया था लेकिन एक हफ्ते बाद ही 9 अप्रैल को उन्होंने अपने फैसले को पॉज कर दिया. उन्होंने चीन पर 125 प्रतिशत भारी शुल्क लगाया है. इसके बाद से अमेरिका से व्यापार करने को लेकर कई देश सोच विचार कर रहे हैं.
इन सब के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से कुछ शुल्कों को कम करने के बाद व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका टैरिफ समझौतों पर 15 देशों के प्रस्तावों पर विचार कर रहा है और उनमें से कुछ के साथ समझौते के करीब है. हैसेट ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, “यूएसटीआर ने हमें सूचित किया है कि अब शायद 15 देश हैं जिन्होंने स्पष्ट प्रस्ताव दिए हैं, जिनका हम अध्ययन कर रहे हैं और विचार कर रहे हैं और तय कर रहे हैं कि क्या वे राष्ट्रपति को प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त हैं.”
टैरिफ में बढ़ोतरी पर 90 दिनों की रोक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से टैरिफ में भारी बढ़ोतरी पर 90 दिनों की रोक की घोषणा के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में गुरुवार को नाटकीय तेजी देखी गई. हालांकि इस रोक से चीन को बाहर रखा गया. इस कदम से एशिया और यूरोप में निवेशकों में आशा की लहर दौड़ गई, जबकि बीजिंग की स्थिति पर अनिश्चितता बनी हुई थी.
टैरिफ वॉर पर डब्ल्यूटीओ ने क्या कहा?
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को गंभीर नुकसान पहुंचने की आशंका जताई है. डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने कहा कि इस वैश्विक व्यापार अनिश्चितता के नकारात्मक व्यापक आर्थिक प्रभाव केवल अमेरिका और चीन तक ही सीमित नहीं रहेंगे बल्कि अन्य अर्थव्यवस्थाओं, खासकर सबसे कम विकसित देशों तक भी इनका असर देखने को मिलेगा. विश्व व्यापार में अमेरिका और चीन के बीच होने वाले व्यापार की हिस्सेदारी करीब तीन प्रतिशत है. इससे पता चलता है कि दोनों देशों के व्यापार संबंधों में किसी भी तरह का तनाव वैश्विक व्यापार के लिए बड़े नुकसान का कारण बन सकता है.
पिछले कुछ दिनों में दुनिया की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर लगातार शुल्क लगाती जा रही हैं जिससे व्यापार युद्ध गहराता जा रहा है. जहां अमेरिका ने चीन पर 125 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है, वहीं चीन ने उस पर 84 प्रतिशत शुल्क लगाने की बात कही है.
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