बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड के एक पूर्व प्रशिक्षु गौरव पाटिल को जमानत दी। उसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने युवा पीढ़ी को हनी ट्रैप से सतर्क रहने की भी चेतावनी दी।
हाईकोर्ट ने जज मिलिंद जाधव ने अपने आदेश में कहा कि हनी ट्रैप से जुड़े साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसने देश के युवाओं और समाज के लिए खतरे की घंटी बजा दी है कि वे हनी ट्रैप के चेतावनी संकेतों (वॉर्निंग सिग्नल) से सावधान रहें।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि गौरव पाटिल (21 वर्षीय) ने अप्रैल से अक्तूबर 2023 के बीच सोशल मीडिया पर दो महिलाओं से जान-पहचान बढ़ाई थी। बातचीत के दौरान उसने उनके साथ जहाजों से जुड़ी कुछ जानकारी साझा की थीं। बाद में पता चला कि वे दोनों महिलाएं पाकिस्तानी खुफिया एजेंट थीं, जो झूठी पहचान के साथ काम कर रही थीं।
ये भी पढ़ें: नए वक्फ कानून के समर्थन में छह BJP शासित राज्य पहुंचे अदालत; सांविधानिक वैधता बनाए रखने की अपील
हनी ट्रैप का शिकार हुआ गौरव पाटिल: आरोपी के वकील
वहीं, पाटिल के वकील विराल राठौड़ ने दलील दी कि अगर उन सोशल मीडिया चैट को देखा जाए, जिन पर अभियोजन पक्ष ने भरोसा किया है, तो साफ हो जाएगा कि पाटिल पूरी तरह निर्दोष है और उल्टा वह उन दोनों महिलाओं के हनी ट्रैप का शिकार हुआ है। ये महिलाएं भी इस मामले में आरोपी हैं। वकील ने कहा कि आरोपी ने जो जानकारी साझा की थी, वह बिना किसी गलत इरादे के दी, क्योंकि उसे उन महिलाओं की असली पहचान के बारे में पता नहीं था। वह उन्हें केवल सोशल मीडिया पर सामान्य दोस्त समझता था और उनके बारे में कुछ नहीं जानता था।
न्याय मित्र ने कोर्ट में क्या कहा
कोर्ट की मदद के लिए नियुक्त वकील (न्याय मित्र) डोरमान दलाल ने कहा कि पाटिल का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। उसने जांच में पूरा सहयोग दिया है। आपराधिक साजिश का आरोप जांच का विषय है। वहीं, अभियजोजन पक्ष के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आरोपी का यह कृत्य चार महीने से ज्यादा चला और इससे देश की सुरक्षा और राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचा है।
ये भी पढ़ें: Vande Bharat Train: टल सकता है PM मोदी का जम्मू दौरा, श्रीनगर-कटरा वंदे भारत के उद्घाटन में हो सकती है देरी
‘युवाओं को सजा देने में अपनाना चाहिए सुधारात्मक दृष्टिकोण’
सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि जेल में भेजने से युवाओं पर कई तरह के नुकसानदेह असर पड़ते हैं। इसी वजह से कोर्ट का मानना है कि सजा देने के मामले में सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, खासकर जब आरोपी युवा हो। आरोपी की कम उम्र को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि जेल भेजने से उसके भविष्य पर बुरा असर पड़ सकता है और उसके समाज में सफल होने की संभावना और भी कम हो सकती है, क्योंकि जेल में उसे दुर्व्यहार का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए कोर्ट ने न्याय मित्र की दलीलों को मानते हुए उसे जमानत दी।
हनी ट्रैप को लेकर सतर्त रहें युवा: हाईकोर्ट
हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि यह हनी ट्रैप का एक क्लासिक उदाहरण है, जिससे आज के युवाओं को सतर्क रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा, हनी ट्रैप एक गोपनीय तरीका होता है, जिसे खुफिया अभियानों में उपयोग किया जाता है। इसमें व्यक्ति को यौन अपील या मोह में फंसाया जाता है, ताकि उससे जरूरी जानकारी निकाली जा सके, उस पर दबाव बनाया जा सके या किसी खास मकसद के लिए उसे इस्तेमाल किया जा सके।