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हिंदी सिनेमा के वो जाने माने निर्देशन, निर्माता जिन्होंने साल 1946 में देश को दुनियाभर में ऐसा मुकाम हासिल करवाया, जो इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया. राजेश खन्ना को इंडस्ट्री में लाने का श्रेय भी इन्हें …और पढ़ें
राजेश खन्ना को दिया था ब्रेक
हाइलाइट्स
- राजेश खन्ना को इसी डायरेक्टर ने ब्रेक दिया था.
- देवानंद को भी इन्होंने ही लॉन्च किया था.
- 1 ही एक्ट्रेस संग बना डाली थी कई फिल्में.
चेतन आनंद ने इंडस्ट्री में कदम रखते ही इतिहास रच दिया था. साल 1946 में आई डेब्यू फिल्म ‘नीचा नगर’ ने न सिर्फ भारतीय सिनेमा को वैश्विक पहचान दिलाने में मदद की, बल्कि कान्स फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स (अब पाल्म डी’ओर) पुरस्कार जीतकर भारत का नाम रोशन किया. आज से 79 साल पहले ही उन्होंने देश का नाम रोशन किया था. यह फिल्म, जो मैक्सिम गोर्की के नाटक ‘लोअर डेप्थ्स’ से प्रेरित थी, सामाजिक यथार्थवाद का एक मजबूत उदाहरण थी.
राजेश खन्ना को दिया था बड़ा ब्रेक
चेतन आनंद का सबसे बड़ा योगदान रहा राजेश खन्ना को इंडस्ट्री में लाने में रहा. फिल्म निर्माता ने एक एक्टिंग कॉम्पटिशन में राजेश खन्ना को तलाश किया और साल 1966 में आई फिल्म ‘आखिरी खत’ में पहला ब्रेक दिया. इसके बाद चेतन ने राजेश खन्ना को साल 1981 में रिलीज फिल्म ‘कुदरत’ में मौका दिया. पिछले जन्म की थीम पर आधारित इस फिल्म का गाना ‘हमें तुमसे प्यार कितना’ आज भी लोगों के जहन में बसा हुआ है. परवीन सुल्ताना ने इस गाने के लिए बेस्ट फीमेल सिंगर का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता था. वो बात अलग है कि राजेश खन्ना को सुपरस्टार के तौर पर पहचान साल 1969 में अराधना से मिली थी.

राजकुमार की हीरोइन पर थे फिदा
साल 1960 में चेतन ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी हिमालया फिल्म्स शुरू की और संगीतकार मदन मोहन, गीतकार कैफी आजमी और एक्ट्रेस प्रिया राजवंश के साथ एक ऐसी टीम बनाई, जिसने हिंदी सिनेमा को कुछ अनमोल रत्न दिए. ‘हकीकत’ 1964 में आई, जो भारत की पहली पूर्ण लंबाई वाली युद्ध फिल्म रही और इसने 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि में देशभक्ति और युद्ध के सीन को दिखाया. चेतन प्रिया राजवंश को पसंद करते थे. लेकिन वह शादीशुदा थे.चेतन के लिए एक्ट्रेस ने अपना करियर भी दांव पर लगा दिया था, वह सारी फिल्में सिर्फ उनके साथ ही करती थीं.
बता दें कि साल 1949 में चेतन ने अपने छोटे भाई देवानंद के साथ नवकेतन प्रोडक्शंस की स्थापना की, जिसने हिंदी सिनेमा को कई यादगार फिल्में दीं. उनकी पहली फिल्म साल 1950 में आई ‘अफसर’ थी, जिसमें देवानंद और सुरैया ने जबरदस्त एक्टिंग की थी. इसके बाद 1954 में आई ‘टैक्सी ड्राइवर’, जो सफल थी.